शब्द विचार की परिभाषा
यह हिंदी व्याकरण का दूसरा खंड है जिसके अंतर्गत शब्द की परिभाषा, विच्छेद, रूपांतरण, संधि, भेद-उपभेद से संबोधित नियम से विचार किया जाता है। वर्णों के उस मेल को शब्द विचार कहा जाता है। यदि सार्थक मेल ना हो, तो निरर्थक शब्द बनते हैं और उसका हिंदी व्याकरण में कोई महत्व नहीं है। जैसे-
सार्थक मेल | सार्थक शब्द |
क+ल+म | कलम (लिखने वाली वस्तु है) |
क+म+ल | कमल (यह एक प्रकार का फूल है) |
निरर्थक मेल | निरर्थक शब्द |
ल+क+म | लकम (हिंदी भाषा में कोई अर्थ नहीं है) |
म+क+ल | मकल (हिंदी भाषा में कोई अर्थ नहीं है) |
शब्द और पद
कोई शब्द जब किसी वाक्य में प्रयुक्त होता है तब ये शब्द ‘पद’ कहलाता है।
जैसे—राम और आम—संज्ञा शब्द है।
खाता और है – क्रिया शब्द है।
राम आम खाता है-यह एक वाक्य बन गया।
(राम-कर्ता पद; आम-कर्म पद; खाता है-क्रियापद)
इससे यह स्पष्ट होता है कि जब तक कोई शब्द, शब्द है जब तक वह वाक्य में प्रयुक्त नहीं हुआ है, जैसे ही वह शब्द किसी वाक्य में प्रयुक्त होता है तो शब्द ‘पद’ के रूप में हो जाता है। दूसरे शब्दों में या व्याकरण की भाषा में वाक्य में प्रयुक्त हुआ शब्द ही पद कहलाता है।
शब्दों के प्रकार
शब्दों के चार प्रकार के भेद होते हैं-
- अर्थ के आधार पर
- रचना या बनावट के आधार पर
- उत्पत्ति के आधार पर
- रूपांतरण के आधार पर
अर्थ के आधार पर शब्दों के प्रकार—
- सार्थक शब्द
- निरर्थक शब्द
सार्थक शब्द—वैसे शब्द जिनके द्वारा कोई निश्चित अर्थ निकलता हो, उसे सार्थक शब्द कहा जाता है। जैसे—रोटी, दाल, चावल, गुलाब, आदमी आदि।
निरर्थक शब्द—वैसे शब्द जिनके द्वारा कोई निश्चित अर्थ ना निकलता हो और जो अर्थहीन हो, उसे निरर्थक शब्द कहा जाता है। जैसे—वोटी, वाना, वानी मुक्का-वुक्का, बेना आदि।
रचना के आधार पर शब्दों के प्रकार-
1.रूढ़ शब्द
2.यौगिक शब्द
3.योगरूढ़ शब्द
रूढ़ शब्द — ऐसे शब्द जो किसी विशेष अर्थ को दर्शाते हैं लेकिन जब उन शब्दों के खंड किए जाएं तो उसका कोई अर्थ नहीं निकलता है, उसे ही रूढ़ शब्द कहा जाता है। जैसे—
रूढ़ शब्द =विद्या सागर कन्या
निरर्थक खंड =वि+घा,सा+गर,क+न्या
यौगिक शब्द—ऐसे शब्द जो किसी दो सार्थक शब्दों के मेल से बनता है, उसे यौगिक शब्द कहते हैं। यह शब्द के खंड भी सार्थक रूप में होते हैं जैसे—
देवालय :- देव+आलय, स्वदेश :-स्व+देश,क
कुपुत्र :- कु+पुत्र, हिमालय :-हिम+आलय आदि।
योगरूढ़ शब्द—वैसे यौगिक शब्द जो किन्हीं दो शब्दों के योग से बने हों तथा बनने के बाद किसी विशेष अर्थ का बोध करते हैं। अपने सामान्य या साधारण अर्थ को छोड़कर विशेष अर्थ ग्रहण करते हैं, उन्हें योगरूढ़ शब्द कहा जाता है। जैसे—
लंबोदर (गणेश जी), पंकज (कमल), गिरधारी (श्री कृष्ण)
वीणापाणि (सरस्वती), हलधर (बलराम) आदि।
अतः बहुव्रीही समाज ऐसे शब्दों के अंतर्गत आते हैं।
उत्पत्ति के आधार पर शब्दों के प्रकार—
- तत्सम शब्द
- तद्भव शब्द
- देशज शब्द
- विदेशज शब्द
तत्सम शब्द—ऐसे शब्द जिन की उत्पत्ति संस्कृत भाषा से हुई है, संस्कृत के वे मूल शब्द जो हिंदी भाषा में प्रयुक्त होते हैं, उसे तत्सम शब्द कहा जाता है। जैसे—पुष्प, आज्ञा, अंक, उदय, कल्पना ,गंगा, गीत, कार्य, मृत्यु, पुस्तक, पृथ्वी, क्षेत्र आदि।
तद्भव शब्द—वैसे शब्द जिसकी उत्पत्ति संस्कृत भाषा में हुई हो लेकिन वह रूप बदलकर हिंदी भाषा में आ गया है। वैसे शब्द को तद्भव शब्द कहते हैं। जैसे—
तत्सम शब्द | तद्भव शब्द |
अंक | आंक |
अष्ट | आठ |
आम्र | आम |
कर्ण | कान |
कर्पूर | कपूर |
दुग्ध | दूध |
अग्नि | आग |
कार्य | काम |
हस्त | हाथ |
देशज शब्द—वैसे शब्द जो हमारे भारत की विभिन्न जगहों की स्थानीय बोलचाल से हिंदी में आए हैं। देशज शब्द कहलाते हैं।
जैसे—कबड्डी, कुत्ता, ढाबा, नानी, पेट, लोटा, पगड़ी, थैला, इडली, डोसा, समोसा, चमचम, गुलाबजामुन, लड्डू, खटखटाना, खिचड़ी, मीना, मुनियां आदि।
विदेशज शब्द—वैसा शब्द जो हमारे भारत देश से बाहर की भाषाओं से है लेकिन ज्यों के त्यों हिंदी में प्रयुक्त हो गया है, वैसे शब्द विदेशज शब्द कहलाते हैं। मुख्यतः यह विदेशी जातियों से हमारे मिलने से हुआ है। यह विदेशी शब्द-उर्दू, अरबी, फारसी, पुर्तगाली, फ्रांसीसी, आदि भाषाओं से आए हैं।
अंग्रेजी—कॉलेज, पेंसिल, रेडियो, अपील, ऑक्सीजन, ऑपरेशन, गवर्नर, चॉकलेट, टेलीविजन, डॉक्टर, लेटर बॉक्स, पेन, टिकट, मशीन, सिगरेट, साइकिल, जर्सी, लव, स्कूल, स्टेशन, हाउस, जजमेंट आदि।
अरबी—अक्ल, अजनबी, अजब, अजीब, औलाद, अमीर, कत्ल, कलम, कानून, रिश्वत, औरत, इतवार, एतराज, एहसान, कसाई, गजब, गजल, गलत, गरीब, गायब, गुलाम, गुस्सा आदि।
फारसी—अंगूर, अंदर, अनार, चश्मा, जमींदार, दुकान, दरबार, नमक, अफसोस, किसमिस, कुश्ती, कोशिश, खरीद, खाकी, जरूरी ,जवान, जादू, जानवर, बीमार, बर्फ, रुमाल, चुगलखोर, आदि।
तुर्की—कैंची, चाकू, उर्दू, काबू, कुर्ता, कुली, कूच, चकमक, चोगा, तोप, बारूद, लास, दरोगा, बहादुर, जुर्राब, तमगा आदि।
फ्रांसीसी—इंजीनियर, पुलिस, कर्फ्यू, बिगुल, कार्टून, आदि।
रूपांतरण के आधार पर शब्द के प्रकार—
1.विकारी शब्द
2.अविकारी शब्द
विकारी शब्द—वैसे साहब जो लिंग, वचन, पुरुष और कारक के अनुसार अपने रूप बदलते हैं, उसे विकारी शब्द कहा जाता है।
जैसे—लिंग: बच्चा पढ़ता है=बच्ची पढ़ती है।
वचन: बच्चा रोता है=बच्चे रोते हैं।
कारक: बच्चा सोता है=बच्चे को सोने दो।
ऐसे शब्द विकारी शब्द कहलाते हैं।
अविकारी शब्द—वैसे शब्द जिन पर लिंग, वचन, पुरुष और कारक आदि से कोई फर्क नहीं पड़ता है एवं उनके अनुसार वह अपने रूप नहीं बदलते हैं, उन्हें अविकारी शब्द या ‘अव्यय’ शब्द कहा जाता है। जैसे—तथा, धीरे, किंतु, परंतु, तेज, अधिक, आदि।
ऐसे शब्द अविकारी या ‘अव्यय’ शब्द के अंतर्गत आते हैं।