सरस्वती पूजा पर निबंध – Saraswati Puja Essay in Hindi

प्रस्तावना

सरस्वती पूजा भारत देश में मनाया जाने वाला एक प्रसिद्ध त्योहार है, सरस्वती पूजा बसंत ऋतु की शुरुआत का प्रतीक होता है, सरस्वती पूजा हिंदू लोगों में पूरी खुशी के साथ धूमधाम से मनाया जाता है, सस्वती पूजा तथा बसंत पंचमी का अर्थ है-शुक्ल पक्ष का पांचवा दिन अर्थात सरस्वती पूजा को वसंत पंचमी के भी नाम से जाना जाता है अर्थात पंचमी का अर्थ है-शुक्ल पक्ष का पांचवा दिन, बसंत पंचमी को बसंत ऋतु के पांचवे दिन के रूप में मनाया जाता है, बसंत पंचमी भारतीय महीने के पांचवे दिन माघ में आती है।

"या देवी सर्वभूतेषु विद्या रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्ए नमस्तस्ए नमस्तस्ए नमो नमः।।"

मनाने का समय

बसंत पंचमी का त्यौहार माघ महीने के पांचवी को मनाई जाती है, मुख्यतः बसंत पंचमी विद्यालयों में और शिक्षा से जुड़े लोगों द्वारा फरवरी माह में मनाई जाती है।

मनाने का कारण

बसंत पंचमी को ऋतुओं के राजा बसंत का आगमन माना जाता है, मनुष्य ही नहीं, अन्य जीव-जंतु, पेड़-पौधे भी खुशी से नाच रहे होते हैं, इस समय मौसम बहुत ही सुहाना हो जाता है, बसंत पंचमी को मां सरस्वती के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है।

इस दिन कोई भी शुभ काम शुरू करने का सबसे शुभ मुहूर्त माना जाता है, खास इस दिन को सबसे श्रेष्ठ मुहूर्त की उपमा भी दी गई है, भारत में अलग-अलग राज्यों में इसे मनाने का तरीका भी अलग अलग ही होता है लेकिन भावना सबकी वाग्देवी से आशीर्वाद पाने की ही होती है।

संगीत की देवी होने के कारण इस दिन को सभी कलाकार बहुत जोश-खरोश से इस दिवस को मनाते हैं और मां सरस्वती की पूजा करते हैं, इस दिन छोटे बच्चे के हाथ में पेंसिल पकड़ाना बहुत ही शुभफलदायी माना जाता है, ऐसा कहा जाता है कि ऐसा करने से बच्चों पर मां सरस्वती की कृपा बनी रहती है, बच्चे हो या बुङे ज्ञान पाने की इच्छा से सभी मां के सच्चे मन से आराधना करते हैं।

सरस्वती पूजा का वर्णन

हिंदी रीति में ऐसी मान्यता है कि इस दिन सुबह सुबह बेसन की उबटन से स्नान करना चाहिए, तत्पश्चात पीले वस्त्र धारण कर मां सरस्वती की पूजा अर्चना करनी चाहिए, और पीले व्यंजनों का भोग लगाना चाहिए, ऐसा कहा जाता है कि पीला रंग वसंत ऋतु का प्रतीक है, और माता सरस्वती को पसंद भी है।

पूरे भारत में सभी शिक्षण-संस्थानों में सरस्वती-पूजा की धूम रहती है, पूरे रीति-रिवाज से शिक्षण-संस्थानों में विधिवत पूजा अर्चना संपन्न कराई जाती है, बच्चे इस दिन बहुत ही उत्साहित रहते हैं, इसके अलावा जगह-जगह पर पंडाल बना कर भी पूजा होती है।

इस दिन ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे मां सरस्वती सच में धरती पर उतर आई हों, और अपने आशीष की वर्षा कर रही हों, बसंत पंचमी पर हमारी फसलें-गेहूं, चना आदि तैयार हो जाती हैं, इसलिए इसकी खुशी में हम बसंत पंचमी का त्यौहार मनाते हैं, संध्या के समय बसंत का मेला भी लगाया जाता है।

जिसमें लोग परस्पर एक दूसरे के गले से लग कर आपस में स्नेह, मेलजोल तथा आनंद का प्रदर्शन करते हैं, कहीं-कहीं पर बसंती रंगों की पतंग उड़ाने का कार्यक्रम बड़ा ही रोचक होता है, इस पर्व पर लोग बसंती कपड़े पहनते हैं और बसंती रंग का भोजन करते हैं तथा मिठाइयां बांटते हैं, बसंत ऋतुओं का राजा भी कहलाता है।

इसमें प्रकृति का सौंदर्य सभी ऋतुओं से बढ़कर होता है, वन-उपवन भांति भांति के पुष्पों से जगमगाते हैं, गुलमोहर, चंपा, सूरजमुखी और गुलाब के पुष्पों के सौंदर्य से आकर्षित रंग बिरंगी तितलियों और मधुमक्खियों के मधुरम पान होङ-सी लगी रहती है, इनकी सुंदरता देखकर मनुष्य भी खुशी से झूम उठता है।

विद्यार्थियों के लिए भी यह त्यौहार बहुत आनंददायक होता है, इस पर्व को भारत में स्कूलों, कॉलेजों, यूनिवर्सिटी  में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है, सभी विद्यार्थी इस दिन पूजा सामग्री लेकर अपने विद्यालय जाते हैं, मां सरस्वती की मूर्ति स्थापित करके विधि विधान से पूजा की जाती है।

इस पर्व पर विद्यालयों में सरस्वती पूजा होती है और शिक्षक विद्यार्थियों को विद्या का महत्व बताते हैं, तथा पूरे उल्लास के साथ पढ़ने की प्रेरणा भी देते हैं, बसंत पंचमी का यह मौसम बहुत ही सुहाना होता है, इस समय खेतों में फसलें लहराते हुए बहुत सुंदर लगते हैं, इस दिन वाघ यंत्रों, किताबों, संगीत से जुड़ी यंत्रों की पूजा की जाती है, बसंत पंचमी के दिन पतंग भी उड़ाई जाती है।

उपसंहार

बसंत पंचमी मौसमी त्योहारों में से एक है जो बसंत के मौसम के आगमन का प्रतीक है, यह सर्दियों को विदा देता है, बसंत पंचमी का त्योहार उनको शीतलता प्रदान करने और प्रकृति में नई ऊर्जा प्रदान करने का कार्य करता है, यह त्यौहार हमारी ऋतु के प्रति प्रेमभाव को दर्शाता है।

सरस्वती पूजा भारत के साथ-साथ नेपाल और बांग्लादेश में भी बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है, इस दिन छोटे बच्चे के हाथ पेंसिल पकड़ाना बहुत ही शुभ फलदायी माना जाता है, कहा जाता है कि ऐसा करने से बच्चे पर मां सरस्वती की कृपा बनी रहती है, सभी लोग इस त्यौहार को बड़े ही उल्लास से मनाते हैं।

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