Samvad Lekhan in Hindi – संवाद लेखन की पूरी जानकारी

संवाद क्या है?

जब दो या दो से अधिक व्यक्ति आपस में एक दूसरे से अपने विचारों एवं भावों को बातचीत के माध्यम से व्यक्त करते हैं उसे संवाद कहते हैं, संवाद का सामान्य अर्थ बातचीत होता है।

संवाद लेखन क्या है?

जब दो या दो से अधिक लोग आपस में एक दूसरे से वार्तालाप करते हैं और अगर उसे लिख दिया जाए तो संवाद लेखन कहते हैं।

संवाद लेखन किसे कहा जाता है?

संवाद का अभिप्राय बातचीत अथवा वार्तालाप से है। यह अभिव्यक्ति के मौखिक एवं लिखित दोनों रुपों से मिलता है।प्रभावशाली संवाद बोलना अथवा लिखना भी एक कला है। दो व्यक्तियों की बातचीत को संवाद कहा जाता है।

संवाद लेखन क्यों करवाया जाता है?

बच्चों को कक्षा 6 से ही संवाद लेखन सिखाई जाती है, संवाद लेखन से बोलचाल की भाव और लिखने में प्रवृत्ति जागती है, संवाद लेखन के माध्यम से बच्चों को सृजनात्मक शक्ति को जागृत करने का अवसर मिलता है, बच्चों को स्वाद लेखन के माध्यम से जीवन की वास्तविकता को समझने का सबसे अच्छा मौका मिलता है, इसके साथ ही बच्चों की काल्पनिक सकती में बढ़ोतरी होती है।

अच्छा संवाद कैसे लिखें?

हम एक दूसरे से आपस में जो बातचीत करते हैं उसे ही संवाद लेखन में लिखते हैं लेकिन इसके भी कुछ नियम है जैसे-

  • संवाद का आरंभ और अंत हमेशा रोचक होना चाहिए।
  • संवाद जितना सजीव, सामाजिक और रुचि पूर्ण होगा उतना ही अधिक आकर्षक होगा।
  • समाज में प्रवाह और स्वाभायिकता होनी चाहिए।
  • संवादों में स्वाभाविकता तथा चुटीलापन अवश्य होना चाहिए।
  • संवादों की भाषा सरल, भावानुकूल, पात्रानुकूल तथा विषयानुकूल होना चाहिए।
  • संवाद की शैली सरल होनी चाहिए।
  • संवाद लेखन में हमेशा सरल और छोटे छोटे शब्दों का प्रयोग करना चाहिए।
  • विषय के अनुकूल इसमें हास्य,व्यंग्य तथा सजीवता होनी चाहिए।
  • संवाद लिखते समय क्रमबद्धता का ध्यान रखना चाहिए अर्थात एक पात्र का संवाद दूसरे पात्र के संवाद से परस्पर जुड़ा होना चाहिए।
  • संवाद का प्रत्येक वाक्य विषय से जुड़ा होना चाहिए।
  • संवादों में कलात्मक भाषा का भी प्रयोग करना चाहिए।
  • संवाद लेखन में कठिन से कठिन शब्दों का प्रयोग कम होना चाहिए।
  • संवादों में अनुतान का बड़ा महत्व होता है।
  • पात्रों के मनोभावों एवं मुद्राओं को कोष्ठकों में लिखना चाहिए।
  • संवाद लेखन में पात्र की उम्र लिंग, कार्य, स्थिति का ध्यान रखना जरूरी है, जैसे- अध्यापक, विद्यार्थी, पुलिस, चोर आदि।
  • संवाद लेखन में मुहावरे व लोकोक्तियां का भी प्रयोग होना चाहिए।
  • संवाद लेखन में प्रसंग के अनुसार वाक्यों में व्यंग-विनोद का समावेश होना चाहिए।
  • संवाद लेखन में भाव विचारों की पूर्णावृत्ति से बचना चाहिए।
  • संवाद लेखन में प्रयुक्त विस्मयादिबोधक चिन्ह (‘) अल्पविराम  (,) प्रश्न चिन्ह (?) पूर्णविराम (।) आदि उचित स्थान पर होना चाहिए।
  • संवाद लेखन के अंत में एक बार पढ़कर दोहरा लेना चाहिए ताकि औषधियों का निराकरण किया जा सके।
उदाहरण – महिला और सब्जी वाले के बीच संवाद लेखन

महिला – भैया गोभी कैसे दिए?

सब्जी वाला – ₹30 किलो बहन जी।

महिला – इतना महंगा? कल तो ₹20 किलो ही बिक रहे थे।

सब्जी वाला – अब क्या बताएं मंडी में हमें ही इतना महंगा मिल रहा है।

महिला – लेकिन फिर भी कुछ तो कम करो।

सब्जी वाला – मैं खुद ₹26 किलो ले आया हूं, चलो आप ₹28 ही दे दो।

महिला – भिंडी कैसे दिए?

सब्जी वाला – ₹10 किलो।

महिला – ठीक है 1 किलो गोभी और 1 किलो भिंडी दे दो थोड़ा सा धनिया और मिर्ची भी दे दो।

सब्जी वाला – यह लो बहन जी।

महिला – कितने रुपए हुए?

सब्जी वाला –  ₹40 मात्र।

महिला – यह लो ₹40 भैया।

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