Patra Lekhan – पत्र लेखन, प्रकार, उदाहरण

पत्र लेखन क्या है?

एक व्यक्ति द्वारा भावना रूपी शब्दों के संग्रह को दूसरे व्यक्ति के समक्ष लिखकर प्रकट किया जाता है उसे पत्र लेखन कहा जाता है, एक पत्र के द्वारा अपनी बात व्यक्ति विशेष तक पहुंचाई जाती है जिसके बाद पत्र ग्रहण करने वाले व्यक्ति के द्वारा इसका उत्तर पत्र के माध्यम से दिया जाता है, पत्र को चिट्ठी भी कहा जाता है।

पत्र लेखन एक रोचक कला अभिव्यक्ति की समस्त लिखित साधनों में आज भी सबसे प्रमुख, शक्तिशाली, प्रभावपूर्ण और मनोरम स्थान रखता है, पत्रलेखन में आत्मीयता स्पष्ट दिखाई देती है जिससे लेखक तथा पाठक दोनों समीपता का अनुभव करते हैं।

लिखित भाषा का उद्देश्य सबसे अधिक पत्र लेखन द्वारा ही प्राप्त होता है पत्रलेखन द्वारा हम दूसरों के दिलों को जीत सकते हैं, मैत्री बढ़ा सकते हैं और मंत्रमुग्ध कर सकते हैं।

अतः पत्र लेखन एक ऐसी कला है जिसके लिए बुद्धि और ज्ञान की परिपक्वता, विचारों की विशालता, विषय का ज्ञान, अभिव्यक्ति की शक्ति और भाषा पर नियंत्रण की आवश्यकता होती है।

प्राक्कथन – मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है समाज में रहते हुए उसे एक दूसरे से संपर्क व संबंध स्थापित करने के लिए पत्र लेखन की आवश्यकता होती है।

अतः वह इस पत्र के माध्यम से अपने विचारों में भाव का आदान प्रदान करते हैं व्यवहारिक जीवन में पत्र वव्यहार की वह मूल है, जो मानवीय संबंधों को जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करता है।

पत्र लेखन का अर्थ होता है – चिट्ठियां पत्र।
लेखन का अर्थ होता है – लिखना।

अतः पत्र लेखन का तात्पर्य होता है चिट्ठि या पत्र लिखना।

पत्र लेखन के माध्यम से हम अपने विचारों तथा भावनाओं का आदान प्रदान करते हैं यह विभिन्न परिस्थितियों के अनुसार अलग-अलग होता है।

पत्र के प्रकार

पत्रों को मुख्यतः दो वर्गों में विभाजित किया गया है-

  1. औपचारिक पत्र
  2. अनौपचारिक पत्र।

औपचारिक पत्र –

औपचारिक पत्र उस व्यक्ति के पास लिखा जाता है जिससे हमारा कोई निजी या पारिवारिक संबंध नहीं होता है औपचारिक पत्रों के अंतर्गत कई प्रकार के पत्र आते हैं जैसे विद्यालय के प्रधानाचार्य प्रशासनिक पदाधिकारियों व्यापारियों संपादकों समाचार पत्र के संपादक के पास पुस्तक विक्रेताओं आदि के पास लिखे जाने वाला पत्र औपचारिक पत्रों की श्रेणी में आते हैं।

विशेषण के लिए औपचारिक पत्रों को निम्नलिखित वर्गों में बांटा गया है-

  1. संपादकीय पत्र
  2. व्यवसायिक पत्र
  3. कार्यालयी पत्र
  4. आवेदन पत्र/प्रार्थना पत्र।

औपचारिक पत्र के अंग/भाग

  1. पत्र संख्या/पत्रांक…….।
  2. शीर्षक या कार्यालय……।
  3. प्रेषक…..।
  4. सेवा में….।
    5.प्रेषिती (पत्र प्राप्त करने वाला) का पद और पता…।
  5. स्थान और दिनांक…..।
  6. विषय…..।
  7. संबोधन…..।
  8. निर्देश…..।
  9. स्वनिर्देश(अभी निवेदन)….।
  10. हस्ताक्षर……।
  11. संलग्न सूची……।
  12. पृष्ठांकन…..।

नोट – अगर आप औपचारिक पत्र लिख रहे हैं तो उसमें अभिवादन शब्दों का प्रयोग नहीं कर सकते हैं, क्योंकि अभिवादन शब्दों का प्रयोग नहीं किया जाता है। अनौपचारिक पत्र असल में व्यक्तिगत पत्र होते हैं, यह पत्र उन लोगों के पास लिखा जाता है जिससे हमारी निजी संबंध होता है। जैसे माता-पिता भाई-बहन मित्र एवं अन्य सगे संबंधी आदि के पास लिखे जाने वाला पत्र अनौपचारिक पत्रों की श्रेणी में आते हैं।

अनौपचारिक पत्र

अनौपचारिक पत्र असल में व्यक्तिगत पत्र होते हैं, यह पत्र उन लोगों के पास लिखा जाता है जिससे हमारी निजी संबंध होता है, जैसे माता-पिता भाई-बहन मित्र एवं अन्य सगे संबंधी आदि के पास लिखे जाने वाला पत्र अनौपचारिक पत्रों की श्रेणी में आते हैं।

विशेषण के लिए अनौपचारिक पत्र को निम्नलिखित वर्गों में बांटा गया है-

  1. बधाई पत्र
  2. निमंत्रण पत्र
  3. सांत्वना पत्र
  4. व्यक्तिगत पत्र।

अनौपचारिक पत्र के अंग/भाग-

  1. प्रेषक का पता स्थान….।
  2. दिनांक….।
  3. संबोधन…..।
  4. अभिवादन….।
  5. स्वनिर्देश(अभिनिवेदन)….।
  6. हस्ताक्षर…..।
नोट -अगर आप अनौपचारिक पत्र लिख रहे हैं तो आप पत्र का विषय नहीं लिख सकते क्योंकि पत्र का विषय नहीं लिखा जाता।

किंतु पत्र के आकार और विषय वस्तु के आधार पर पत्र तीन प्रकार के होते हैं-

  1. व्यवसायिक पत्र
  2. सरकारी या कार्यालयी पत्र
  3. सामाजिक या वैयक्तिक पत्र।
  • सरकारी अशासकीय पत्र की रचना में ध्यान देने योग्य बातें या पत्र की रूपरेखा-
  1. पत्र के ऊपर बाएं साइड पत्र संख्या लिखा जाता है।
  2. तत्पश्चात पत्र परिषद या कार्यालय का नाम दाएं तरफ लिखा जाता है।
  3. उसके बाद पत्र संख्या के नीचे पाए और प्रेषक पदाधिकारी का नाम पदनाम लिखा जाता है।
  4. उसके बाद पत्र में बाई तरफ सेवा में लिखा जाता है।
  5. उसके बाद प्रेषिती (पत्र प्राप्त करने वाला) का पद और पता लिखा जाता है।
  6. उसके बाद दाएं तरफ से प्रेषक का स्थान तथा दिनांक लिखा जाता है।
  7. उसके बाद कागज पृष्ठ के मध्य में मूल विषय को संबोधित किया जाता है।

सरकारी पत्र के प्रकार-

  1. ज्ञापन
  2. कार्यालय ज्ञापन
  3. अधिसूचना
  4. अर्ध सरकारी पत्र
  5. परिपत्र
  6. कार्यालय आदेश
  7. प्रेस विज्ञप्ति
  8. पारले खान
  9. अनुस्मारक
  10. शासनादेश।

पत्र लेखन की विशेषताएं-

  • भाषा शैली में सरलता-पत्र की भाषा सरल, सुबोध व स्पष्ट होना चाहिए । शैली में रोचकता, माधुर्य  एवं सहजता का भाव होना चाहिए।
  • विषयानुकूल-पत्र का विषय भावों के अनुकूल होना चाहिए, शब्दों के प्रयोग व भाव में एकरूपता होनी चाहिए।
  • ​विचारों की स्पष्टता- पत्र में विचार स्पष्ट व सुलझे हुए होनी चाहिए, भाषा में शिष्टता होना चाहिए, अप्रिय शब्दों का प्रयोग नहीं होना चाहिए।
  • सुंदर व आकर्षक अक्षर-पत्र में अक्षरों की लिखावट साफ सुथरा, सुंदर व आकर्षक होनी चाहिए, जो मन को खुश कर दे, शीर्षक, अभिवादन, अनुच्छेद क्रमानुसार होना चाहिए।
  • प्रभावशाली-पत्र लेखन का शुरुआत प्रभावशाली होनी चाहिए, शिष्टता, नम्रता, प्रेम की अभिव्यक्ति आदि भावों से पत्र प्रभावशाली बनते हैं।
  • संपूर्णता – पत्र में संपूर्णता होनी चाहिए जो लिखा जाना जरूरी हो वही लिखना चाहिए, पत्र अधूरा नहीं रहना चाहिए।
  • संक्षिप्ता – पत्र में उन्हें बातों को लिखा जाना आवश्यक है पतरा संक्षिप्त व सटीक होना चाहिए कम शब्दों में भावनाओं विचारों की अभिव्यक्ति होना चाहिए।

इन्हें भी पढ़ें:-

औपचारिक पत्र

1.नगर निगम के पास पत्र लिखिए
2.प्रधानाचार्य को पत्र लिखिए

अनौपचारिक पत्र

1.दादाजी को पत्र लिखिए
2.पिताजी को पत्र लिखिए
3.नानाजी को पत्र लिखिए
4.अपनी सहेली को पत्र लिखिए
5.अपनी छोटी बहन को पत्र लिखिए
6.अपनी मां को पत्र लिखिए

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