रांची,
झारखंड,
20 अगस्त 2021,
पूजनीय नानाजी,
सादर चरण स्पर्श,
मैं यहां कुशल पूर्वक हूं आशा है कि आप भी कुशल पूर्वक होंगे, आपका पत्र प्राप्त हुआ, नाना जी आपको जानकर खुशी होगी कि मेरा पढ़ाई सुचारू रूप से चल रहा है कक्षा में जो भी पढ़ाया जाता है मैं घर आकर उसे नियम से पढ़ता हूं, कोई भी संकोच होती है तो अगले दिन अपने शिक्षक से पूछ लेता हूं।
नाना जी यह पत्र मैं एक कारण से लिख रहा हूं, मुझे आपसे अपने माता-पिता की शिकायत करनी है, नाना जी, वह मुझे ना कभी खेलने देते हैं और ना ही टेलीविजन देखने देते हैं,काॅलोनी के सभी बच्चे शाम को व छुट्टी के दिन कंपाउंड में खेलते हैं पर मैं खेलने नहीं जा सकता हूं, बस हर समय पढ़ते रहो, पढ़ते रहो। वे यही चाहते हैं कि हर टेस्ट में, हर एग्जाम में कक्षा का कोई भी विद्यार्थी मुझसे आगे ना निकले, कृपा करके आप उन्हें समझाइए नानाजी।
नानी जी और मामा व मामी जी को मेरा प्रणाम तथा छोटों को स्नेह आशीष बोल दीजिएगा।
आपका पोता,
पल्लव तिवारी