मातृभाषा की हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका होती है, हमारी मातृभाषा हमें सामाजिक स्तर पर परंपरा इतिहास और सांस्कृतिक तौर पर जोड़ती है, मातृभाषा संस्कृति की वाहिका होती है मातृभाषा ही हमें संसार और व्यवहार सिखाती है, हमारे देश भारत में भाषाओं की विविधता पाई जाती है जो हमें अपनी मिट्टी और विरासत से भावनात्मक रूप से जोड़कर रखती है।
मातृभाषा का अर्थ
जन्म लेने के बाद से ही मनुष्य जो प्रथम भाषा सिकता है उसे ही मातृभाषा कहा जाता है, मातृभाषा किसी भी व्यक्ति की सामाजिक भाषाई पहचान होती है, सभी संस्कृति और व्यवहार इसी के द्वारा हम पाते हैं, इसी भाषा से हम अपनी संस्कृति के साथ जुड़कर उसकी धरोहर को आगे बढ़ाते हैं, भारत में सैकड़ों प्रकार की मातृभाषाएं बोली जाती है जो देश की विविधता और अनूठी संस्कृति को बयान करती है।
मातृभाषा को बढ़ावा देने का उद्देश्य
मातृभाषा को बढ़ावा देने का उद्देश्य दुनिया में भाषाई और सांस्कृतिक विविधता और बहुभाषी को बढ़ावा देना है, आज विश्व में भारत की भूमिका और भी अधिक मायने रखती है क्योंकि एक बहुभाषी राष्ट्र होने के नाते मातृ भाषाओं के प्रति भारत का उत्तरदायित्व कहीं अधिक मायने रखती है।
जीवन में मातृभाषा का महत्व
जन्म से हम जिस भाषा का प्रयोग करते हैं वही हमारी मातृभाषा है, हमारी मातृभाषा हम सभी के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है ‘भारतेंदु हरिश्चंद्र’ ने लिखा है।
“निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति का मूल।
बिन निज भाषा ज्ञान के, मिटन न हिय के सूल।”
अर्थात मातृभाषा के बिना किसी भी प्रकार की उन्नति संभव नहीं है हम मातृभाषा के महत्व को इस रुप से समझ सकते हैं कि अगर हमको पालने वाली “मां” होती है तो हमारी भाषा भी हमारी मां है, हमको पालने का कार्य हमारी मातृभाषा भी करती है इसलिए मां और मातृभाषा को बराबर दर्जा दिया गया है।
मातृभाषा में शिक्षण का महत्व
मातृभाषा में शिक्षण बच्चे के मानसिक विकास हेतु बहुत लाभदायक होता है मातृभाषा के द्वारा हम जो सीखते हैं, वह संसार की अन्य किसी भाषा के द्वारा नहीं सीख सकते हैं, किसी भाषा का साहित्य कितना भी धनी क्यों ना हो वह हमारी मातृभाषा के साहित्य से अधिक आवश्यक और आदरणीय नहीं हो सकता।
मातृभाषा का पाठ्यक्रम में महत्वपूर्ण स्थान होता है मातृभाषा पर ही अन्य सभी विषयों की योजना योग्यता पूर्णता और सफलता निर्भर होती है तथा उसी पर शिक्षा की सफलता का भार होता है ज्ञान तथा मस्तिष्क का विकास मातृभाषा द्वारा ही संभव हो सकता है।
मात्र भाषा के रूप में हिंदी
हिंदी हम भारतीयों की मातृभाषा है, हिंदी हमारी आपकी और हम सब की भाषा है वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार में 43.6 फ़ीसदी लोगों ने हिंदी को मातृभाषा स्वीकार किया था आज हिंदी हर विषय में हर क्षेत्र में अपना ध्वज फहराते हुए आगे बढ़ती ही जा रही है।
चाहे वह विज्ञान का क्षेत्र हो या इंटरनेट की दुनिया सब जगह हिंदी का बोलबाला है परंतु फिर भी ना जाने क्यों आज भी कुछ भारतवासी अपनी मातृभाषा को बोलने में गौरव की अनुभूति नहीं कर पाते, भारत में 3 साल के बच्चे को अंग्रेजी भाषा सिखाने पर ज्यादा महत्व दिया जाता है।
आज सभी भारतवासियों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है कि वे अपनी मातृभाषा सीखे प्रयोग करें और इस धरोहर को संभाल कर रखें।
उपसंहार
मातृभाषा को संरक्षण नहीं मिलने की वजह से भारत में लगभग 50 मातृभाषा पिछले 5 शतकों में विलुप्त हो चुकी है आज जरूरत है हमें अपनी अपनी मातृभाषा को अपनाने की और आने वाली पीढ़ी को सिखाने की ताकि भाषा के जरिए हमारी संस्कृति हमेशा फलती फूलती रहे मातृभाषाओं के अस्तित्व को बचाने और उन को बढ़ावा देने हेतु प्रत्येक वर्ष 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस भी मनाया जाता है।