मानव – अरे पक्षी! आजकल तुम बड़े खुश दिखाई देते हो! क्या कारण है?
पक्षी – हां! बहुत खुश हूं लेकिन इसका कारण तुम मानव ही तो हो।
मानव – हम लोग वो कैसे?
पक्षी – अरे भाई! तुम मानव ही तो हमारा जीना दुश्वार कर रखा था और अब जब तुम सब अपने अपने घरों में बंद हो तो हमें अपना जीवन खुलकर जीने का मौका मिला है तो खुश नहीं होंगे क्या?
मानव – हां! यह तो सही कह रहे हो तुम, और हम अपने किए पर शर्मिंदा भी हैं।शायद तुम्हारी हाय लगी है सारी दुनिया को।
पक्षी – तुम लोगों ने तो सभी जंगलों को नष्ट कर दिया है, अपने स्वार्थ के लिए पेड़ काट डाले हैं, हमारे रहने के लिए कहीं स्थान नहीं छोड़ा और तो और पर्यावरण को भी दूषित कर डाला है, साफ हवा के अभाव में हमारे भाई बंधुओं की भी मृत्यु हो रही थी, नदी नालों में गंदगी डालकर उसे भी दूषित कर दिया है सभी जलीय जीव जंतुओं की जान पर बन आई है।
मानव – और शायद इसलिए भगवान ने हमें दंड दिया है और हम लोग को घर के अंदर कैद हो गए हैं, भगवान जाने कब यह स्थिति सामान्य होगी।
पक्षी – नहीं, जब मानव चाहेगा तभी यह स्थिति सामान्य होगी यदि अभी वह अपनी गलतियों से नहीं सीखा, तो भगवान भी उसकी सहायता नहीं कर पाएंगे।
मानव – ठीक कह रहे हो प्यारे पक्षी।