क्रिया किसे कहते हैं? – परिभाषा, भेद एवं उदाहरण

क्रिया किसे कहते हैं?

जो शब्द के द्वारा किसी कार्य को करने अथवा होने का बोध हो उसे क्रिया कहा जाता है।

जैसे — मोहन पढ़ रहा है। 

संध्या खेल रही है।

मूल क्रिया अथवा धातु क्रिया किसे कहते हैं?

क्रिया के मूल रूप को धातु कहते हैं।

जैसे — लिख,जा,रो,पढ़ आदि।

क्रिया के भेदों का वर्णन करें।

क्रिया के दो भेद होती हैं—

  1. सकर्मक क्रिया
  2. अकर्मक क्रिया।

सकर्मक क्रिया — जब क्रिया के साथ कर्म हो, तो उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं। 

जैसे — सोहन दूध पीता है। (कर्म+क्रिया)।

सकर्मक क्रिया के भेद — सकर्मक क्रिया तीन प्रकार के होते हैं।

 (1) एककर्मक सकर्मक क्रिया — ऐसी सकर्मक क्रियाएं जिनका एक ही कर्म होता है, उन्हें एककर्मक किसे कहते हैं।

जैसे — हरिका ने पुस्तक खरीदी। 

स्नेहा ने डबल रोटी खाई।

इन वाक्यों की क्रियाएं— खरीदी और खाई का एक ही कर्म है —पुस्तकें और डबल रोटी।

(2) द्विकर्मक सकर्मक ‌क्रिया — ऐसी सकर्मक क्रियाएं जिनके दो कर्म होते हैं, उन्हें द्विकर्मक सकर्मक क्रिया कहते हैं।

जैसे — अखिलेश ने अंकित को गणित पढ़ाया। 

(अंकित और गणित—दो कर्म है)।

शिमला ने दुकानदार से चावल खरीदे। 

(दुकानदार और चावल—दो कर्म हैं।

इन वाक्यों की क्रियाएं — पढ़ाया, खरीदे के दो कर्म है यह हैं। अंकित और गणित।

(3) अपूर्ण सकर्मक क्रिया — ऐसी सकर्मक क्रियाएं जिनमें कर्म रहने पर भी अर्थ अपूर्ण लगते हैं, उन्हें अपूर्ण सकर्मक क्रिया कहते हैं।

जैसे — दिखाना, लगना, बनाना, समझना, रंगना, चुनना और मानना आदि क्रियाओं को पूरक की आवश्यकता होती है।

(क) पूरक रहितसुकन्या दीपिका को नहीं समझती। सर्वेश अशोक को मानता है।
(ख) पूरक सहितसुकन्या दीपिका को बहन नहीं समझती। सर्वेश अशोक को भाई मानता है।

इन उदाहरणों में (क) पूरक रहित क्रियाएं हैं‌। ये सकर्मक क्रियाएं हैं।इनमें पूरक का अभाव रहता है। (ख) पूरक सहित के उदाहरणों से स्पष्ट हो जाता है कि अपूर्ण सकर्मक क्रियाओं में पूरक की आवश्यकता बनी रहती है।

अकर्मक क्रिया — जब क्रिया के साथ कर्म न हो, तो उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं। 

जैसे — सोहन पीता है। सुमन खाता है। 

इन वाक्यों में केवल क्रिया है।

अकर्मक क्रिया के भेद — अकर्मक क्रिया दो प्रकार की होती हैं—

(1) पूर्ण अकर्मक क्रिया — जो अकर्मक क्रियाएं पूर्ण होती हैं अर्थात जिन्हें पुरकों की आवश्यकता नहीं पड़ती, उन्हें पूर्ण अकर्मक क्रिया कहते हैं। इन क्रियाओं से कर्ता की स्थिति, गति और अवस्था ज्ञात होती है। इन्हें स्थितत्यर्थक /गत्यर्थक पूर्ण अकर्मक क्रिया भी कहते हैं।

जैसे — मिंटी रो रही है। 

वायुयान अमेरिका जा रहा है। 

खिलौना घूम रहा है।

इन वाक्यों में आई अकर्मक क्रियाएं हैं — रोना, जाना और घूमना। ये स्वयं पूर्ण हैं।

अपूर्ण (पुरकांछी) अकर्मक क्रिया — जो अकर्मक क्रियाएं  स्वयं में पूर्ण नहीं होतीं, उन्हें अपूर्ण अकर्मक क्रिया कहते हैं। इन क्रियाओं का कर्ता से संबंध बनाने के लिए किसी ना किसी संज्ञा या विशेषण शब्द की आवश्यकता पड़ती है।

जैसे — विश्वजीत डॉक्टर बनेगा। साइकिल खराब है।

इन वाक्यों में बनेगा, है अपूर्ण अकर्मक क्रियाएं हैं। इन क्रियाओं का कर्ता से संबंध बनाने वाले पूरक शब्द है — डॉक्टर और खराब।

अपूर्ण अकर्मक क्रिया में प्रायः बनना, निकलना और होना प्रमुख होती है। पूरक शब्द प्रायः संज्ञा और विशेषण होते हैं।

4. नाम धातु क्रिया किसे कहते हैं?

संज्ञा, सर्वनाम और विशेषण शब्दों से जो क्रिया धातुएं प्रत्यय लगाकर बनायी जाती है, उन्हें नाम धातु कहते हैं। 

जैसे —हाथ से हथियाना, अपना से अपनाना, लालच से ललचाना आदि।

5. प्रेरणार्थक क्रिया किसे कहते हैं?

जब कर्ता स्वयं कार्य ना कर दूसरे को प्रेरणा देकर करवाए, उसे प्रेरणार्थक क्रिया कहते हैं। 

जैसे — पढ़ना — अध्यापक मोहन से पाठ पढ़वाते हैं।

संयुक्त क्रिया किसे कहते हैं?

दो या दो से अधिक धातुओं के मेल से बनने वाली क्रिया को संयुक्त क्रिया कहते हैं। 

जैसे — वर्षा थम चुकी है। सोहन प्रायः आ जाया करता है। मैं अब पढ़ सकता हूं अभी।

सहायक क्रिया किसे कहते हैं?

वे शब्द जो क्रिया के पूर्णता में सहायक होता है, उन्हें सहायक क्रिया कहते हैं।

जैसे — विद्यार्थी विद्यालय जा चुके हैं।

समापिका क्रिया किसे कहते हैं?

सरल वाक्य में जो क्रिया वाक्य को समाप्त करती है और प्रायः वाक्य के अंत में रहती है, उसे समापिका क्रिया कहते हैं।

जैसे — लड़का पड़ता है।  

मैं निबंध लिखूंगा।

असमापिका क्रिया किसे कहते हैं?

वाक्य में जो क्रिया विधेयगत क्रिया के स्थान पर प्रयोग ना होकर अन्य स्थान पर प्रयुक्त होती है, उसे और असमापिका क्रिया कहते हैं। यह क्रिया समापिका क्रिया की तरह निर्धारित स्थान पर प्रयुक्त नहीं होती है।

जैसे — पानी में बहते हुए बच्चे नदी में डूब गए। 

बड़ों के कहने पर चला करो।

वाक्यों में से क्रियापद छठ कर क्रिया-भेद :—

1. खाली बैठे, कल्पना करते रहने की पुरानी आदत है।

बैठे, करते रहने, है — सकर्मक क्रिया है।

2. पक्षी उड़ रहे हैं।

उड़ रहे हैं — अकर्मक क्रिया है।

3. बच्चा सो रहा है।

सो रहा है — अकर्मक क्रिया है।

4. मैं राम को पत्र लिखूंगा।

लिखूंगा — सकर्मक क्रिया (द्विकर्मक क्रिया) है।

5. वह प्रतिदिन कई किलोमीटर दौड़ता है।

दौड़ता है — अकर्मक क्रिया है।

6. विक्रम उपन्यास पढ़ता है।

पढ़ता है — सकर्मक क्रिया है।

7. पक्षी आकाश में उड़ रहे थे।

उड़ रहे थे—अकर्मक क्रिया है।

8. सृष्टि समाचार पत्र पढ़ती है।

पड़ती है—सकर्मक क्रिया है।

9. मोहन घर जाता है।

जाता है — सकर्मक क्रिया है।

10. दोनों खीरों के सिर काटे और उन्हें गोदकर झाग निकाला।

गोदकर — पूर्वकालिक क्रिया है।

काटे, निकाला — सकर्मक क्रिया है।

वाक्यों में प्रयुक्त क्रियाओं के भेद—

1. बच्चन परिवार सिद्धिविनायक मंदिर में पूजा कर रहा है।

सकर्मक क्रिया है।

2. राम पॉलिश करवाता है।

प्रेरणार्थक क्रिया है।

3. आज मां ने पकवान बनाएं।

सकर्मक क्रिया है।

4. तुमने अपने मित्र को मेरी कविता सुनाई।

द्विकर्मक क्रिया है।

5. मैंने खाना बनवाया है।

प्रेरणार्थक क्रिया है।

6. सौम्या ने खिलौना तोड़ दिया।

सकर्मक क्रिया है।

7. सुमित कुमार सो रहा है।

अकर्मक क्रिया है।

8. मीना ने मुझे चाय पिलाई।

द्विकर्मक क्रिया है।

9. दिनेश ने खाना खिलाया।

सकर्मक क्रिया है।

10. अध्यापक छात्रों को पाठ रटवाते हैं।

द्विकर्मक क्रिया है।

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