आज के समय में लगभग सभी लोगों के घरों में कपड़ों की धुलाई करने के लिए साबुन का इस्तेमाल किया जाता हैं, और सभी लोगों के घरों में कपड़े धोने के लिए अलग-अलग साबुन का इस्तेमाल किया जाता है, और सभी साबुन के अन्दर कपड़े धोने की साबुन गुणवत्ता अलग-अलग होती है, अगर आप अपने कपड़े खुद से धुलाई करते हैं, तो आपको कम से कम 10 साबुनों के नाम जरूर पता होना चाहिए, क्योंकि आज के समय में कपड़े धोने के लिए ज्यादातर लोग इन्ही साबुनों का इस्तेमाल करते हैं।
यहां पर जितने भी साबुन के नाम बताए गए हैं, ये साबुन बहुत ही आसानी से आप आपने आसपास के नजदीकी किराना स्टोर से आप खरीद कर इस्तेमाल कर सकते हैं, कई बार ऐसा होता है कि हम जब अपने आसपास के किराना स्टोर में जो साबुन खरीदने जाते हैं, वह साबुन हमें नहीं मिलता है वैसे में हमें दूसरे साबुन खरीदने की आवश्यकता पड़ती है, और हमें ऐसी स्थिति में साबुन का नाम मालूम नहीं होता है, तो हमें दुकानदार कोई भी साबुन थमा देता है।
लेकिन हमें इसका अंजाम तब मिलता है, जब हम घर पर आकर अपने कपड़ों की धुलाई करते हैं, अगर आप अपने कपड़ों की धुलाई अच्छे से करना चाहते हैं, और अपने कपड़ो में लगे छोटे-मोटे दाग धब्बों से राहत पाना चाहते हैं, तो यहां बताए गए कपड़े धोने के साबुन के नाम को याद कर ले, और एक-एक बार इन साबुनों का इस्तेमाल करके जरूर देखें।
कपड़े धोने के साबुन के नाम:-
- सर्फ एक्सल – Surf Excel
- रीन – Rin
- टाइड -Tide
- घडी़ – Ghadi
- फेना – Fena
- व्हील – Wheel
- 555 – 555
- वूश – Woosh
- हेनको – Henko
- रिलायंस सोड – Reliance Sudz
- पतंजलि – Patanjali
प्राचीन काल में लोग बिना साबुन के अपने कपड़े साफ कैसे करते थे?
आपने कभी सोचा है कि प्राचीन काल में लोग अपने कपड़ो की साफई कैसे करते होंगे, क्योंकि उस समय ना तो कपड़े धोने की कोई साबुन थी और ना ही कोई डिटर्जन पाउडर अगर आपको नहीं मालूम है, तो आज आपको मालूम हो जाएगा कि लोग प्राचीन काल में बिना साबुन के अपने कपड़ों की सफाई कैसे करते थे।
रीठा के छिलके से: – प्राचीन काल में लोग अपने कपड़ों की सफाई करने के लिए ऑर्गेनिक चीजों का इस्तेमाल किया करते थे, जैसे- रीठा के छिलके से निकले झाग से, गर्म पानी में रीठा के छिलके को उबालने से पानी में झाग उत्पन्न हो जाता था, जिसमें लोग अपने कपड़ो को भिगोकर अपने हाथों से रगड़ कर कपड़ों की सफाई किया करते थे।
रेह नाम की घास से: – उस समय खेतों में अपने आप ही रेह नाम की एक घास उग आती थी, और लोग उस घास को एक साथ इकट्ठा करके ले आते थे, और उसे पानी में भिगो देते थे और साथ ही उसी में अपने कपड़ो को डाल देते थे, और फिर उसे अपने हाथों से रगड़ कर अपने कपड़ों को साफ कर लेते थे।
गर्म पानी से: – प्राचीन काल में कई लोग अपने कपड़ों की सफाई करने के लिए गर्म पानी का भी इस्तेमाल किया करते थे, उबलते पानी में अपने कपड़ों को डालकर फिर उसे निकालकर पत्थरों पर पटक-पटक कर अपने कपड़ों को लोग साफ किया करते थे, ऐसा करने से उनके कपड़े तो काफी हद तक साफ हो ही जाते थे, साथ ही साथ कपड़ो में लगे छोटे से छोटे बैक्टीरिया कपड़ो से आसानी से बाहर निकल जाते थे, और कपड़े एकदम साफ सुथरा हो जाते थे।
साबुन का आविष्कार कब और कैसे हुआ?
आज के समय में हमें मार्केट में रंग-बिरंगी साबुन देखने को मिल जाती है, जिसकी खुशबू भी काफी शानदार होती है, लेकिन कभी आपने सोचा है कि आखिर साबुन का आविष्कार कब और कैसे हुआ, ऐसा कहा जाता है कि आज से 3000 वर्ष पहले रोम के निवासियों अपने देवताओं को प्रसन्न करने के लिए, जानवरों को मारकर उसके खून को जलती हुई अग्नि कुंड के राख के साथ मिलाकर अपने देवताओं के सामने समर्पित करते थे।
लेकिन बाद में यह मिश्रण जाकर टाइगर नदी के तट पर जमा हो जाता था, और उस नदी पर प्रतिदिन कई सारे धोबी कपड़े धोने के लिए आया करते थे, एक दिन एक धोबी ने उस मिश्रण से कपड़े की सफाई करने की सोची, और फिर उस धोबी ने एक दिन उस मिश्रण से कपड़े की सफाई करके देखी तो कपड़े पूरी तरह से एकदम चमकदार एवं साफ-सुथरे हो चुके थे, इसके बाद से सभी धोबी कपड़ों की सफाई करने के लिए इसी मिश्रण का इस्तेमाल करने लगे, देखते ही देखते यह बात चारों तरफ तेजी से फैल गई।
इसीलिए कहते हैं कि इसी वजह से मिट्टी से साबुन का आविष्कार हुआ, चुकी यह वासा माउंट सापो से बह कर आई थी, इसीलिए इस खास मिट्टी को सोप नाम दिया गया, रोमन धोबियों को तो कपड़े साफ मिले, लेकिन उन्होंने कभी भी यह जानने का प्रयास नहीं किया कि आखिरकार कपड़ों की सफाई हुई कैसे, असल में यह काम पानी का पृष्ठ तनाव कम करके किया जाता है, दरअसल पानी के अनु एक दूसरे को आकर्षित करने की बजाय पानी की तरफ खींचते हैं।
यह खिंचाव ही पृष्ठ तनाव है, और यह तनाव तोड़ने का काम साबुन करता है, जिससे कपड़े साफ और चमकदार दिखते हैं साबुन बनाने के लिए वसा और तेल का फैटी एसिड का इस्तेमाल किया जाता है, इस एसिड को त्रिव एल्कलिक के साथ मिलाया जाता है, और इन के बीच होने वाले प्रतिक्रिया के कारण जो अनु बनते हैं उसे सरफेस एक्टिव एजेंट कहते हैं, और यही पृष्ठ तनाव तोड़ने का काम करते हैं।
साबुन में दो तरह के अनु होते हैं, एक पानी प्रेमी हाइड्रोफेलिक और एक तेल प्रेमी हाइड्रोफोबिक और हाइड्रोफोबिक तेलिए गंदी से जाकर चिपक जाती है, और पानी इस गंदगी को कपड़े से अलग करने का काम करती है, जब कपड़े को साफ पानी में धोया जाता है, तो साबुन के साथ गंदगी भी बह जाती है, और कपड़े में चमक आ जाती है, अब साबुन में एल्कली की जगह सोडियम हाइड्रोक्साइड या पोटेशियम हाइड्रोक्साइड का इस्तेमाल किया जाता है।
निष्कर्ष:-
मुझे उम्मीद है कि अब आपको कपड़े धोने के साबुन के नाम मालूम हो गई होगी, अगर आपके मन में कपड़े धोने के साबुन के नाम से संबंधित कोई सवाल या सुझाव हो तो आप हमें कमेंट बॉक्स के माध्यम से बता सकते हैं, हम आपके सवालों के जवाब जल्द से जल्द देने की पूरी कोशिश करेंगे, यह लेख अपने उन दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें जो अपने कपड़ों की धुलाई स्वयं करते हैं, ताकि वे भी इन साबुनों का इस्तेमाल करके एक बार जरूर देख सकें।