प्रस्तावना
प्राचीन भारत के इतिहास पर अवलोकन करने से हमें ज्ञात होता है कि यहां नारी को आदरपूर्ण स्थान दिया जाता है, हमारे पुरखों का कथन था।
"यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता:"
अगर हमारे देश की तरक्की हेतु हमारे भारतीय महिलाओं का शिक्षित होना बहुत जरूरी है, पंडित जवाहरलाल नेहरू कहा करते थे आप भारतीय महिलाओं की स्थिति देखकर भारतीयों के हालात बता सकते हैं, एक शिक्षित नारी भारत की सामाजिक एवं आर्थिक उन्नति का आधार होती है अतः हमें नारी शिक्षा को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, अगर नारी शिक्षा को नजरअंदाज करने का अर्थ है देश के भविष्य को अंधकार में डाल देना है।
नारी शिक्षा की आवश्यकता
आज के समय में भी महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले कम महत्व दिया जाता है, अगर महिलाओं को उचित शिक्षा ही नहीं मिल पाएगी तो वे आगे कैसे बढ़ेंगे, महिला पढ़ी-लिखी नहीं होंगी तो वह कभी भी सशक्त व आत्मनिर्भर नहीं बन पाएगी।
अगर घर की महिला ही पढ़ी-लिखे नहीं होगी तो अपने होने वाले बच्चों को क्या शिक्षा देगी? कहा जाता है कि मां ही बच्चों का पहला गुरु होती है, अगर वही पढ़ी-लिखी नहीं होगी तो पूरा परिवार अनपढ़ ही रह जाएगी, इसीलिए बेटी होने पर सर्वप्रथम उसकी शिक्षा व्यवस्था उचित करना चाहिए।
प्रत्येक मां-बाप का परम कर्तव्य है, समय बदलने के साथ लोगों की मानसिकता में बदलाव आया है, सभ्यता और संस्कृति के विकास के लिए नर-नारी का समान महत्व है, इस बात को आज पूरी दुनिया मान रही है, नारी ने अपनी प्रतिमा और क्षमता को पुरुषों के बराबर सिद्ध कर दिखाया है, नारी शिक्षा आज के समय की सबसे बड़ी जरूरत बन गई है।
नारी शिक्षा का महत्व
वर्तमान में नारी शिक्षा का बहुत अधिक महत्व है, जिस प्रकार जीवन जीने के लिए किसी व्यक्ति को हवा की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार किसी देश को अगर विकसित होना है तो सबसे पहले वहां की महिलाओं का शिक्षित होना बहुत ही जरूरी है।
अगर महिलाएं शिक्षित होंगी तो वे अपने अधिकार के प्रति जागरूक होंगे जिससे वे समाज में आगे आ सकेंगे, महिलाओं के शिक्षित होने से कोई उनके साथ दुर्व्यवहार नहीं कर सकता है, नारी अगर शिक्षित होगी तो समाज में लोगों की रुढ़िवादी, विचारधारा समाप्त होगी।
साथ ही लोगों की सोच में बदलाव आएगा, साथ ही साथ समाज का समाजिक भी सुधरेगा और महिलाएं बिना डर के अपना जीवन यापन कर सकती हैं, नारी समाज की महत्वपूर्ण इकाई परिवार की निर्माता है उसके शिक्षित होने पर परिवार संस्कार और सुसंस्कृत होता है, यह प्रभाव राष्ट्र के चरित्र पर पड़ता है, शिक्षित नारी में विभिन्न सामाजिक बुराइयों से लड़ने का विश्वास और ताकत होती है,वह राष्ट्र और समाज को उन्नति के पथ पर आगे ले जाती है।
नारी शिक्षा के मार्ग में आने वाली बाधाएं
भारतीय पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं को पुरुषों के बराबर सामाजिक दर्जा नहीं दिया जाता है, हालांकि शहरी क्षेत्र में स्थिति इतनी बुरी नहीं है लेकिन फिर भी महिलाओं की होगी तो ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं की महत्वता को नकारा नहीं जा सकता, आज भारत विश्व गुरु बनने हेतु प्रगति पथ पर अग्रसर तो है किंतु लैंगिक असमानता को खत्म किए बिना यह सफर बहुत ही मुश्किल से भरा होगा।
आज भारत देश में लैंगिक असमानता घरेलू महिलाओं के साथ-साथ कामकाजी महिलाएं भी महसूस कर रही हैं, भारतीय समाज में यह समझा जाता है कि किसी कार्य विशेष हेतु महिलाओं की दक्षता उनके पुरुष समकक्षों के मुकाबले कम होती है और इसी कारण प्रत्येक क्षेत्र में महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कम ही महत्व दिया जाता है।
देश में महिला का सुरक्षित ना हो पाना भी हर शिक्षा की राह में एक बड़ी बाधा है, इसी कारण बहुत से माता-पिता अपनी लड़कियों को शिक्षा हेतु विद्यालयों या कॉलेजों में भेजने से कतराते हैं, हालांकि सरकारी क्षेत्र में ही कार्य कर रही है परंतु सभी प्रयास अथवा कार्य असफल ही दिखाई देते हैं।
नारी शिक्षा हेतु सरकार के प्रयास
भारत में नारी शिक्षा हेतु सरकार निरंतर प्रयासरत है, वर्ष 2015 में “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” अभियान की शुरुआत बालिकाओं को शिक्षित करने की दिशा में एक सार्थक प्रयास है, यह महिला और बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय तथा मानव संसाधन मंत्रालय की संयुक्त पहल है, 2004 में शुरू की गई।
कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय योजना का उद्देश्य कम साक्षरता दर वाले इलाकों में बालिकाओं के लिए प्राथमिक स्तरीय शिक्षा की व्यवस्था करना है, यूनिसेफ भी देश में लड़कियों की गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा के उत्थान हेतु विभिन्न सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थाएं केंद्र तथा राज्य स्तर पर कार्यरत है।
उपसंहार
भारत देश में महिलाओं को देवी के समान माना जाता है, वेद पुराण में कहा गया है कि किसी देश की संस्कृति को समझना है तो सबसे पहले हमें उस देश की महिलाओं को समझना होगा, आज के आधुनिक तकनीकी संसार में शिक्षा बहुत अहम है, आजकल के समय में शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए बहुत तरीके अपनाए जाते हैं।
वर्तमान समय में शिक्षा का पूरा तंत्र अब बदल चुका है, हम अब 12वीं कक्षा के बाद दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम (डिस्टेंस एजुकेशन) के माध्यम से भी नौकरी के साथ ही पढ़ाई भी कर सकते हैं, शिक्षा बहुत महंगी नहीं है कोई भी कम धन होने के बाद भी अपनी पढ़ाई जारी रख सकता है, दुरस्त शिक्षा के माध्यम से हम आसानी से किसी भी बड़े और प्रसिद्ध विश्वविद्यालय में बहुत कम शुल्क में प्रवेश ले सकते हैं।
लेकिन हमारे देश में नारी शिक्षा की बहुत कमी है, अगर हमारे समाज और सरकार द्वारा प्रयास किया जाए तो हमारे देश के सभी महिला पढ़ी-लिखी होंगी, जिससे देश का विकास दुगनी तेजी से होगा, हमें हमारी समाज के लोगों को नारी शिक्षा के प्रति जागरूक करना होगा, अगर महिलाएं पढ़ी-लिखी होंगी तो संपूर्ण समाज पढ़ा लिखा होगा, जिससे लोगों की भ्रष्टाचार या मानसिकता में सुधार और महिला अपना जीवन सश्वत होकर जी सकेंगी।