प्रस्तावना
भारत के त्योहारों में रक्षाबंधन का विशेष महत्व है। रक्षाबंधन एक सामाजिक पर्व है। यह त्यौहार भाई-बहन के प्रति उसके कर्तव्य की याद दिलाता है। रेशम के धागे से बहन द्वारा भाई की कलाई पर बंधन बांधे जाने की रीत को रक्षाबंधन कहते हैं। रक्षा का बंधन एक ऐसा रक्षा सूत्र है जो भाई को सभी संकटों से दूर करता है। यह त्यौहार भाई-बहन के बीच पवित्र प्यार का प्रतीक है।
रक्षाबंधन एक सामाजिक, पौराणिक, धार्मिक और ऐतिहासिक भावना के धागे से बना एक पावन बंधन है, जिसे रक्षाबंधन के नाम से केवल भारत में ही नहीं बल्कि अन्य देशों में भी बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। राखी के त्योहार को हम संपूर्ण भारत में सदियों से मनाते चले आ रहे हैं। आजकल इस त्यौहार पर बहने अपने भाई के घर राखी और मिठाइयां ले जाती हैं, भाई राखी बांधने के बाद अपनी बहन को दक्षिणा स्वरूप रुपए देते हैं या कुछ उपहार देते हैं।
राखी के पावन धागों में,छिपा बहन का पावन प्यार।
भगिनी की रक्षा का बंधन है,है रक्षाबंधन का त्यौहार।।
रक्षाबंधन मनाने का समय
भाई-बहन के बीच का पवित्र त्यौहार रक्षाबंधन हर साल मनाया जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार रक्षाबंधन श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह तिथि अगस्त के महीने में आती है।
मनाने का कारण
रक्षाबंधन का त्यौहार इस लिए मनाया जाता है क्योंकि यह हर भाई को अपनी बहन के प्रति उसके कर्तव्य को याद दिलाता है। रक्षाबंधन के मौके पर हर बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांध कर उसके हमेशा खुश रहने और स्वस्थ रहने की कामना करती है। भाई भी अपनी बहन को बदले में यह वचन देता है कि कोई भी विपत्ति आ जाए, वो भी अपनी बहन की हमेशा रक्षा करेगा।
रक्षाबंधन मनाने की शुरुआत
पौराणिक कथा की बात की जाए तो राखी की प्रचलित कहानियों में द्वापर की यह कहानी सर्वाधिक प्रचलित है। जब एक बार श्री कृष्ण के उंगली कट जाने पर द्रोपदी ने अपनी साड़ी के एक कोने को फाड़कर कृष्ण के हाथ पर बांध दिया। कथा अनुसार द्रोपदी के सबसे मुश्किल समय में श्रीकृष्ण ने उस साड़ी के एक टुकड़े का कर्ज द्रोपदी का चीर हरण होने से बचा कर निभाया था। वह साड़ी का टुकड़ा श्री कृष्ण ने राखी समझकर स्वीकार किया था।
ऐतिहासिक प्रसंग को देखा जाए तो एक बार मेवाड़ की रानी कर्मावती को बहादुर द्वारा मेवाड़ पर हमला करने की पूर्व सूचना मिली, रानी लड़ने में असमर्थ थी अतः उन्होंने मुगल बादशाह हुमायूं को राखी भेजकर रक्षा की याचना की। हुमायूं ने मुसलमान होते हुए भी राखी की इज्जत रखी और मेवाड़ पहुंचकर बहादुर शाह की विरोध मेवाड़ की ओर से लड़ते हुए कर्मावती व उसके राज्य की रक्षा की। रक्षाबंधन की शुरुआत सबसे पहले रानी कर्मावती और सम्राट हुमायूं के इसी प्रसंग से शुरू हुई थी।
रक्षाबंधन मनाने की विधि
रक्षाबंधन के त्यौहार की शुरुआत सुबह से ही हो जाती है। रक्षाबंधन पर बहनें सुबह स्नान करके पूजा की थाल सजाती हैं, पूजा की थाल में कुमकुम, राखी, रोली ,अक्षत, दीपक तथा मिठाई रखी जाती है। इसके बाद घर के पूर्व दिशा में भाई को बैठा कर उसकी आरती उतारी जाती है। सिर पर अक्षत डाला जाता है, माथे पर कुमकुम का तिलक किया जाता है। इसके बाद बहनें भाई की कलाई पर राखी बांधकर उन्हें मिठाई खिलाती है। राखी बांधते वक्त बहनें अपने भाई की खुशी, लंबी उम्र और तरक्की की कामना करती हैं। भाई भी अपनी बहन को मिठाई खिलाता है और बदले में कोई पैसा या उपहार भी देते हैं। अपनी कलाई में रक्षा सूत्र के समान राखी बंधवा कर भाई भी अपनी बहन को वचन देता है कि वह जीवन भर उसकी रक्षा करेगा।
रक्षाबंधन की तैयारियां
रक्षाबंधन के त्योहारों के एक-दो दिन पहले से ही बाजारों में दुकानें सज जाती हैं। राखी, मिठाई, गिफ्ट आदि खरीदने के लिए दुकानों पर लोगों की भीड़ जमा होने लगती है। राखी से सजी दुकानें बहुत ही सुंदर लगती हैं, प्रत्येक त्यौहार की तरह उपहारों और खाने-पीने के विशेष पकवानों का महत्व रक्षाबंधन में भी होता है। रक्षाबंधन के दिन घरों में सुबह से ही विभिन्न प्रकार के पकवान बनाए जाते हैं जैसे गुजिया, मिठाईयां, सेवई आदि।
रक्षाबंधन का महत्व
यह पर्व भाई-बहन को और समीप लाता है तथा जिससे हमारा कोई संबंध नहीं होता है हम उन्हें भी इस पर्व के माध्यम से भाई-बहन बना सकते हैं इस दिन बहन अपने भाई के लिए मंगल कामना करती है और अपने भाई को राखी बांधती है। भाई उसे हर स्थिति में रक्षा करने का वचन देता है इस प्रकार रक्षाबंधन भाई बहन के पावन स्नेह का त्यौहार है। राखी की पर्व का महत्व चित्तौड़गढ़ की रानी कर्मावती से लगाया जा सकता है। रानी कर्मावती ने बहादुरशाह से मेवाड़ की रक्षा हेतु हुमायूं को राखी भेजा। सम्राट हुमायूं अन्य धर्म से संबंध रखने के बावजूद राखी के कारण बहादुर शाह से युद्ध कर रानी कर्मावती व मेवाड़ राज्य को युद्ध में विजय दिलाया।
उपसंहार
आज यह त्योहार हमारी संस्कृति की पहचान है और हर भारतवासी को इस त्यौहार पर गर्व है। आज कई भाइयों की कलाई पर राखी सिर्फ इसलिए नहीं बंद पाती है क्योंकि उनकी बहनों को उनके माता-पिता ने इस दुनिया में आने ही नहीं दिया। भाइयों और बहनों के लिए रक्षाबंधन का विशेष महत्व है। कई सारे भाई बहन एक दूसरे से व्यवसायिक और व्यक्तिगत कारणों से मिल नहीं पाते हैं, लेकिन इस विशेष अवसर पर वह एक दूसरे के लिए निश्चित रूप से समय निकालकर इस पवित्र पर्व को मनाते हैं, जो कि इसकी महत्ता को दर्शाता है। हमें इस महान और पवित्र त्यौहार के आदर्श की रक्षा करते हुए इसे नैतिक भावाओं के साथ खुशी-खुशी से मनाना चाहिए।