मेरे प्रिय शिक्षक पर निबंध – Essay On My Favorite Teacher in Hindi

प्रस्तावना

शिक्षक हमारे जीवन में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, शिक्षक न केवल हमें शिक्षा प्रदान करने हैं, बल्कि हमारे व्यक्तित्व को भी निखारते हैं, हमें हमारे जीवन में एक नागरिक बनने का श्रेय अध्यापक अथवा शिक्षक को ही जाता है।

शिक्षक अथवा टीचर विद्यार्थियों के जीवन के मार्गदर्शक भी होते हैं, वे हमारे साथ रहकर उन लश्यों की याद दिलाते हैं जिन्हें हम अपनी जीवन, पुस्तकों एवं क्षमतायों के सहारे अवश्य पा सकते हैं, एवं हम सभी को किसी न किसी के मार्गदर्शन की जरूरत अवश्य पड़ती है।

मेरे प्रिय शिक्षक का नाम

अपने विद्यार्थी जीवन में मुझे अनेक शिक्षकों से स्नेह तथा मार्गदर्शक मिला है, लेकिन इन सब में सर सुरेंद्र विश्वकर्मा मेरे प्रिय शिक्षक रहे हैं, सचमुच उनके जैसा अपार ज्ञान, असीम स्नेह और प्रभावशाली व्यक्तित्व बहुत कम शिक्षकों में मैंने पाया है।

मेरे प्रिय शिक्षक का व्यक्तित्व व व्यवहार

सर सुरेंद्र की आवाज गंभीर, सुरीली, स्पष्ट और प्रभावशाली है, उनका शरीर फुर्तीला और स्वस्थ है, वे हमेशा साफ सफाई में ध्यान देते हैं तथा हमेशा साफ सुथरे कपड़े पहनते हैं, गर्मियों में वे सफेद शर्ट और पैंट पहनना पसंद करते हैं, सर्दियों में वे शर्त कोर्ट पहनना पसंद नहीं करते हैं बल्कि साधारण कपड़ा पहनना  पसंद करते हैं।

वे हमेशा शर्ट के साथ स्वेटर पहनना पसंद करते हैं, उनके जूते हमेशा अच्छी तरह से पॉलिश किए हुए रहते हैं, उनका व्यवहार बहुत ही विनम्र है, वे हमेशा कभी भी बेवजह गुस्सा नहीं होते हैं, उन्होंने कभी भी किसी के लिए कठोर शब्द का इस्तेमाल बिल्कुल भी नहीं किए हैं, वे एक शांत स्वभाव के बयक्ति हैं, उन्होंने अपने विद्यार्थियों की कभी भी पिटाई नहीं किए हैं, वे अपने छात्रों को अपने बच्चों की तरह सम्मान करते हैं।

मेरे प्रिय शिक्षक की योग्यता व ज्ञान

मेरे प्रिय शिक्षक अपने विषय के बारे में इतनी गहराई और विस्तार से समझाते हैं कि छात्रों को कहीं अन्य स्थानों पर भटकने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं पड़ती है, वे एक एक पाठ को बहुत ही अच्छे तरह समझाते हैं और उदारहरण के साथ समझाते हैं, मुझे उनका पढ़ाना बहुत ही अच्छा लगता है, उनके अंदर का ज्ञान ही उन्हें आज सभी छात्रों का प्रिय बनाए हैं, वे गणित के शिक्षक हैं, इसके अलावा वे विज्ञान व अंग्रेजी में भी उनकी रुचि है, हिंदी पर भी उनका पूर्ण अधिकार है।

मेरे प्रिय शिक्षक की विशेषताएं 

वे अच्छे गुणों के व्यक्ति हैं, वे हमेशा अपने काम में नियमित रहते हैं वह अपने समय के बड़े पाबंद हैं, वे कभी भी देरी से स्कूल नहीं आते हैं, वे कभी भी समय से पहले ही स्कूल में आ जाते हैं और वे कभी भी समय से पहले स्कूल नही छोड़ते हैं, वे कभी भी समय का दुरुपयोग नहीं करते हैं, वे एक ईमानदार शिक्षक हैं।

उनके पढ़ाने का तरीका बहुत ही दिलचस्प है, उन्हें अपने विषयों का अच्छा ज्ञान है वे अपने छात्रों को बड़े प्यार से सिखाते हैं, वे कमजोर को कड़ी मेहनत करने के लिए प्रेरित करते हैं, वे कमजोर छात्रों  को मदद करने के लिए तैयार रहते हैं, स्कूल प्रिंसिपल और बाकी  शिक्षक भी उनका सम्मान और प्रसंशा करते हैं।

मेरे प्रिय शिक्षक का आदर्श जीवन 

मेरे प्रिय शिक्षक को घमंड तो छू तक नहीं सकता है, उनके चेहरे से सदा प्रशंसनता और आत्मीयता झलकती है, उनके रहन सहन और वेशभूषा से सादगी प्रकट होती है, झूठ, लोभ, रिश्वत, ईश्या आदि बुराइयों से वे कोसों दूर रहते हैं, वे बहुत ही शांत स्वभाव के बयक्ति हैं, उनका जीवन एक आदर्श जीवन है, वे सभी छात्रों को आदर्श जीवन जीने की सलाह देते हैं।

मेरे प्रिय शिक्षक की संघर्ष की कहानी

जब वे दसवीं कक्षा में पढ़ते थे तो उनकी उम्र लगभग 14 साल की होगी उस वक्त उनके पिताजी का देहांत टी.वी नाम की भयानक बीमारी से हो गई जिस वजह से उनकी घर की आर्थिक स्थिति बहुत ही खराब हो गई और घर के बड़े बेटे होने की वजह से उनके ऊपर कई सारी जिम्मेदारियां आ चुकी थी, जिस वजह से वे अपनी दसवीं कक्षा की फीस नहीं भर पा रहे थे।

लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी पढ़ाई को जारी रखते हुए, स्कूल छुट्टी के बाद अपने शहर के नजदीकी बस स्टैंड पर जाकर भीगे चने और कुछ स्टडी मैटेरियल जैसे- जनरल नॉलेज कहानियां की पुस्तकें आदि बेचकर अपने घर परिवार का खर्चा चलाने के अलावा अपने स्कूल की फीस थी देते थे, उन्हें अपने क्लास में कई बार शर्मिंदगी का सामना भी करना पड़ा क्योंकि उन्हें बहुत सारे स्टूडेंट चने वाला कह कर पुकारा करते थे।

लेकिन उन्होंने इन सब बातों को नजर अंदाज़ करते हुए अपने काम को करते रहे और संघर्ष करते रहे और उन्होंने अपने विद्यालय से दसवीं बोर्ड एग्जाम में सबसे ज्यादा अंक प्राप्त किए थे और सबको आश्चर्यचकित कर दिए थे, मेरे प्रिय शिक्षक कहते हैं कि जब मैं उन दिनों को याद करता हूं तो मेरे आंख में आंसू आ जाते हैं।

और उन दिनों की अपनी स्थिति को ध्यान में रखते हुए मेरे प्रिय शिक्षक हर वर्ष अपने विद्यालय के दसवीं कक्षा के 2 विद्यार्थियों को जो सबसे गरीब है उनका फीस अपने जेब से देते हैं और इतना ही नहीं बल्कि वे स्कूल छुट्टी के बाद अपने आसपास के छोटे बच्चों को मुफ्त ट्यूशन देते हैं, क्योंकि वे गरीबी को बहुत करीब से देखे हैं और वे नहीं चाहते हैं कि कोई विद्यार्थी गरीबी की वजह से अशिक्षित रहे।

मेरी प्रिय शिक्षक विद्यार्थियों को हमेशा कहते हैं कि हमें किसी भी कठिन परिस्थिति में हार नहीं मानना चाहिए क्योंकि कठिन से कठिन परिस्थिति का हल हमारे पास होता है, और हमें निरंतर अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए संघर्ष करते रहना चाहिए

उपसंहार

सरलता, सादगी, मिलनसार स्वभाव के कारण मेरे प्रिय शिक्षक न सिर्फ मेरे, बल्कि सभी बच्चों के प्रिय शिक्षक हैं, उनकी कई विषयों में बहुत ही अच्छी पकड़ है, उनका पढ़ाने का तरीका भी बहुत रोचक है जो मुझे बहुत भाता है, इतने विद्वान होने के बाद भी अहंकार उनको बिल्कुल भी छू नहीं पाया है यही बात मुझे उनकी सबसे ज्यादा आकर्षित करती है, इसलिए मैं अपने प्रिय शिक्षक पर ज्यादा ही गर्व करता हूं।

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