घोड़ा पर निबंध – Essay on Horse in Hindi

प्रस्तावना

घोड़ा का इस्तेमाल प्राचीन काल में बड़े-बड़े महाराजाओं द्वारा युद्ध लड़ने के लिए इस्तेमाल किया जाता था, प्राचीन काल में लोग घुड़सवारी करना बहुत ही पसंद करते थे, और बड़े-बड़े महाराजाओं के पास अपना अपना एक घोड़ा हुआ करता था, और वे अपने घोड़े पर सवार होकर ही एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाया करते थे।

जब इस दुनिया में गाड़ियां नहीं थी, तो वजनी सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने और लाने के लिए घोड़ा गाड़ी का ही इस्तेमाल किया जाता था, आज भी कई जगहों पर वजनी सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान तक लाने और ले जाने के लिए घोड़ा गाड़ी का इस्तेमाल किया जाता है।

आज भले ही इस दुनिया में एक से बढ़कर एक गाड़ियां मौजूद हैं, लेकिन कई लोगों को आज भी घुड़सवारी करने का बहुत शौक है, एक अच्छी नस्ल का घोड़ा 80 से 90 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ सकता है, मुझे भी घुड़सवारी करना बहुत पसंद है।

घोड़ा का शारीरिक संरचना

घोड़ा आकार में काफी बड़े होते हैं और इनके चार पैर होते हैं, और इनके दो आंख होते हैं, दो कान होते हैं, और इनकी एक बहुत लंबी और सुंदर पूछ होती है, जो जमीन तक लटकी हुई होती है, जो दिखने में बहुत ही खूबसूरत होती है घोड़े की लंबी पूंछ घोड़े की खूबसूरती में चार चांद लगा देती है, दुनिया भर में अलग-अलग नस्ल के घोड़े पाए जाते हैं और उनके रंग भी अलग-अलग होते हैं।

घोड़ा का मुख्य आहार

घोड़ा एक शाकाहारी जानवर है, घोड़ा का मुख्य आहार हरा घास और अनाज है, घोड़े को चने बहुत पसंद होते हैं इसे वे बड़े चाव से खाते हैं।

घोड़ा का इस्तेमाल

घोड़ा का इस्तेमाल प्राचीन काल में वजनी सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने और ले आने के लिए किया जाता था, लेकिन आज के समय में घोड़े के इस्तेमाल में काफी बदलाव आए हैं।

आज के समय में घोड़े का इस्तेमाल सर्कस और सैलानियों को घुमाने के लिए ज्यादातर किया जाता है, अब बहुत कम ही जगहों पर वजनी सामान को ढोने के लिए घोड़े का इस्तेमाल किया जाता है।

भारतीय घोड़े की नस्लें

भारत में भी घोड़े की कई नस्लें पाई जाती है, लेकिन भारत में    सबसे ज्यादा मारवाड़ी घोड़ा, काठियावाड़ी घोड़ा और मणिपुरी घोड़ा ये तीन नस्ल बहुत ही प्रसिद्ध है।

मारवाड़ी घोड़ा – यह राजस्थान के जोधपुर क्षेत्र में पाया जाता है, यह घोड़ा अपने शांत स्वभाव के लिए भी जाना जाता है, इस घोड़े की चर्चा भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी होती है।

यह भारत का सबसे महंगा घोड़ा भी माना जाता है, यह घोड़े अपने मालिक के प्रति काफी वफादार भी होते हैं, प्राचीन काल में भारतीय राजघरानों का बहुत ही पसंदीदा घोड़ा हुआ करता था, कहते हैं कि आज भी इस घोड़े के रगो में राजघराने का खून दौड़ रहा है।

काठियावाड़ी घोड़ा – यह गुजरात के काठियावाड़ क्षेत्र में पाया जाता है, इस घोड़े की भी चर्चा भारत के अलावा विदेशों में भी होती हैं यह घोड़े भी अपने मालिक के प्रति काफी वफादार होते हैं इस घोड़े का इस्तेमाल भारतीय सुरक्षाकर्मी भी करते हैं, इस घोड़े की ऊंचाई 150 मीटर होती है।

मणिपुरी घोड़ा – यह घोड़ा असम और मणिपुर क्षेत्र में पाया जाता है, यह दिखने में बहुत छोटे होते हैं लेकिन इनकी शरीर बहुत ही मजबूत होती है यह घोड़े शांत स्वभाव के और भोलेपन होते हैं, यह घोड़े बहुत तेज दौड़ते हैं, इन घोड़ा का इस्तेमाल ज्यादातर वजनी सामान को ढोने के लिए किया जाता है।

उपसंहार

घोड़ा एक मजबूत और बहुत तेज दौड़ने वाला जानवर है, और घोड़ा एक पालतू जानवर भी है, घोड़े काफी वफादार भी होते हैं इसीलिए घोड़ा हमारे मित्र समान है।

घोड़े के इस्तेमाल के तौर तरीके में भले ही बहुत बदलाव हो चुके हैं लेकिन, आज भी घोड़े का महत्व उतना ही है जितना कि प्राचीन काल में हुआ करता था।

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