अभिषेक-अर्जुन! आज तुम विद्यालय क्यों नहीं जा रहे हो, समय तो हो गया है।
अर्जुन- हां दोस्त! आज दोपहर के बाद हमारे विद्यालय में वार्षिक उत्सव का आयोजन किया गया है इसलिए मैं आज कुछ देर से जाऊंगा।
अभिषेक- आज तुम्हारे विद्यालय में उत्सव है तब तो वहां बहुत रौनक होगी, उत्सव का प्रबंध कौन कर रहा है?
अर्जुन- उत्सव के प्रबंध के लिए कुछ छात्र-छात्राएं तथा शिक्षक वहां मौजूद हैं।
अभिषेक- अर्जुन! क्या तुम कार्य करने के लिए शामिल नहीं हो?
अर्जुन- नहीं! मैं तो बस विद्यालय का समारोह व सजावट देखने के लिए जा रहा हूं।
अभिषेक- चलो दोस्त, हम दोनों साथ में चलते हैं मुझे भी विद्यालय का समारोह देखना है।(दोनों दोस्त विद्यालय की ओर जाते हैं)
अर्जुन- (विद्यालय पहुंचकर) यही हमारा विद्यालय है यहीं उत्सव की तैयारी में शिक्षकों के साथ-साथ अन्य कर्मचारी तथा कुछ छात्र-छात्राएं लगे हुए हैं।
अभिषेक- ऐसा लगता है कि समारोह प्रारंभ होने वाला है आज की सभाध्यक्ष कौन होगा?
अर्जुन- सभाध्यक्ष, हमारे शिक्षा निर्देशक होंगे, वे अभी आने वाले हैं। (शिक्षा निर्देशक महोदय आ जाते हैं तभी समारोह शुरू हो जाता है)
अभिषेक- दोस्त आज उत्सव का कैसा कार्यक्रम है?
अर्जुन- आज बहुत प्रकार का कार्यक्रम होगा, कुछ छात्र-छात्राएं गाना गाएंगे, कुछ अभिनय करेंगे तथा कुछ खेलों का प्रदर्शन करेंगे, फिर उनके पुरस्कारों का वितरण किया जाएगा।