अनुशासन पर निबंध – Discipline Essay in Hindi

प्रस्तावना

हमारे जीवन में अनुशासन का होना बहुत ही जरूरी है, हमारे जीवन में अनुशासन बहुत ही महत्व रखता है, अनुशासन के बिना सफल जीवन जीने की कल्पना भी नहीं की जा सकती है, जो भी अपने जीवन में अनुशासन नहीं रखता है।

वह व्यक्ति कभी भी अपने जीवन में सफल नहीं हो सकता है चाहे वह मनुष्य हो या फिर कोई वन्य प्राणी, यदि हमें जीवन में सफल होना है तो समय पर उठना होगा और स समय से सोना होगा बिना  समय को बर्बाद करें अनुशासन की पालन करनी होगी।

अनुशासन किसी के सिखाने से नहीं आती है यह स्वयंम को सिखाना होता है, जैसे गुरु आपको शिक्षा दें सकते हैं सही मार्ग पर चलने के लिए सिखा सकते हैं, लेकिन उस शिक्षा का आप किस तरह से अनुसरण करते हैं, यह ‌आप पर निर्भर करता है, अनुशासन हमारे जीवन में बहुत ही जरूरी है।

अनुशासन का महत्व

अगर आप सफल व्यक्ति बनना चाहते हैं तो अपने जीवन में अनुशासन का होना जरूरी है, जीवन में अगर अपने माता-पिता का नाम रोशन करना चाहते हैं, तो आपको अनुशासन की आज और अभी से पालन करना शुरू करना होगा, और हमेशा अपने से बड़े का सम्मान देना होगा।

अनुशासन जीवन की नियंत्रित व्यवस्था है, जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में और हर मनुष्य में अनुशासन का होना वांछित है, व्यक्तियों में अनुशासन की अनिवार्यता है, उसी प्रकार हमारे रोज की जिंदगी में अनुशासन बहुत ही जरूरी है इसके अभाव में भाव-प्रवण अपरिपक्व व्यक्ति अपने क्षेत्र पथ से भटक सकते हैं।

व्यक्तित्व जीवन का उसाकाल है, यहां से ज्ञान की रसमियां और फुटकर संपूर्ण जीवन को आलोकित करती हैं, जीवन के निर्माण काल में अगर अनुशासनहीनता हो तो भावी जीवन के रंगीन सपने पूरे नहीं हो पाते हैं।

जीवन के इस काल में व्यक्ति के जो संस्कार बनेंगे वह अस्थाई हो जाएंगे अतः सावधानी की अत्यंत आवश्यकता है स्पष्ट है कि भावी जीवन की आधारशिला दृढ़ हो,अगर कोई व्यक्ति अपने जीवन में अनुशासन का पालन नहीं करता है, तो वह अपनी मंजिल को कभी नहीं पा सकता है।

अनुशासनहीनता का कारण

आज व्यक्तित्व जीवन की जो दशा है, उसके लिए समाज का कलुषित वातावरण उत्तरदाई है, व्यक्ति जन्म उत्छंखलन और अनुशासनहीन नहीं होते, वे अपने परिवेश की उपज हैं, आजआज की शिक्षा प्रणाली कम दूषित नहीं है, अगर  कोई व्यक्ति के पास अनुशासन नहीं है तो बिना किसी बात को समझे  बेवजह किसी से झगड़ा करना अनुशासन के विपरित है जो कि अनुशासन को भंग करता है।

यह प्रणाली चरित्र निर्माण उच्च संस्कार और उच्चतर जीवन मूल्यों की स्थापना के लिए प्रयास नहीं करती है, व्यक्ति के सम्मुख त्याग, तपस्या, सदाचार और और जीवन के मूल्यों का कोई निर्देशन नहीं मिल पाता है, उनके गुरु आदर्श जीवन के उदाहरण प्रस्तुत कर नहीं पाते हैं।

इस तरह हम कह सकते हैं, कि त्रुटि पूर्ण शिक्षा प्रणाली पश्चिमी सभ्यता की चकाचौंध दूरदर्शन एवं चलचित्र सब व्यक्ति में अनुशासनहीनता के कारण तत्व है, दूरदर्शन के चलते सांस्कृतिक प्रदूषण नियम चल चित्रों के कारण अपराधीकरण को बल मिल रहा है, इन कारणों से नव युवकों में रुचि विकृति पैदा हो रही है, हमारे देश की दलगत राजनीति में भी नव युवकों को गुमराह किया है।

उपसंहार

व्यक्ति में अनुशासनहीनता देश के भविष्य के लिए गंभीर खतरा है, अगर कोई व्यक्ति अपने जीवन में अनुशासन का पालन नहीं कर रहा है तो हमें उस इंसान को अनुशासन में रहने की सुझाव देनी चाहिए।

इससे सामाजिक शांति भंग होगी और अपराध मूल घटनाओं में वृद्धि होगी, दिशाहीन युवा-समाज अराजकता पर उतर आएग, अतः उन्हें अनुशासित करने के लिए गंभीर कदम उठाने होंगे स्वयं व्यक्ति को भी अनुशासन की आवश्यकता समझते हुए कदम उठाने होंगे।

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