CPRI Full Form In Hindi Agriculture

CPRI का फुल फॉर्म Central Potato Research institute ( सेंट्रल पोटैटो इस्टीट्यूट) होता है इसे हिंदी में ‘केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्था’ कहते हैं।

CPRI क्या है?

CPRI ( केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्था) भारत की एक संस्था है जो अपने छह दशकों से ज्यादा के सफर में आलू उत्पादन में क्रांति ला दी है, केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान ने आलू की 61 प्रजातियों की खोज की है भारत देश में आलू की कुल उत्पादन का 95% केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्था के द्वारा विकसित की गई प्रजातियां से हो रही है।

आज के समय में केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्था ने विभिन्न जरूरतों के लिए विभिन्न प्रकार की आलू की प्रजातियां विकसित की है जैसे- चिप्स के लिए कुफरी चिपसोना 1, कुफरी चिपसोना 2, कुफरी चिपसोना 3, कुफरी चिपसोना 4, फ्राई के लिए कुफरी Frysona, कुफरी पुखराज, कुफरी ज्योति, कुफरी बहार, कुफरी ख्याति, कुफरी बादशाह और कुफरी चंद्रमुखी जैसे आलू की प्रजातियों की आज भारतीय किसान मोटी फसल उगा रहे हैं।

भारत के पूर्वी से लेकर पश्चिम और उत्तर से लेकर दक्षिण तक के खास आलू से बनाए जाने वाले व्यंजन आलू दम, समोसा लिटी चोखा, आलू का पराठा, आलू भूंडा जैसे और भी कई सारे खास व्यंजन शामिल हैं अगर भारतीय व्यंजन से आलू को निकाल दिया जाए बहुत से भारतीय व्यंजन अधूरी लगने लगेंगे क्योंकि हम भारतीय ही नहीं बल्कि पूरे देश के लोग आलू के दीवाने हैं।

CPRI के प्रमुख सफलताओं में से एक है उन्नत जातियों का विकास इसके लिए केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान लगातार काम कर रही है किसी भी प्रजाति के लिए जरूरी है ज्यादा से ज्यादा उन्नत गुणों का संग्रह होना विज्ञान की भाषा में कहा जाए तो जीन एक्ससेसन का होना जो किसी भी खास गुण के लिए जिम्मेदार होते हैं।

केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान में अभी के समय करीब 4500 जीन एक्ससेसन है ये जीन एक्ससेसन जंगली देसी और विदेशी आलू की प्रजातियों से ली गई है इन जीन एक्ससेसन का उपयोग प्रजनन के के लिए किया जाता है प्रजनन के जरिए आलू की नई किस्में या फिर वर्तमान किस्मों और उन्नत बनाया जाता है केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान के इन प्रयासों के कारण ही भारतीय किसान कॉम नाइट्रोजन और कम पानी वाली जमीन पर भी आलू की अच्छी फसल पाउगा पा रहे हैं।

केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान ने आलू की रोग प्रतिरोधक प्रजातियां भी विकसित की है इसके अलावा केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान विभाग बायो टेक्नोलॉजी और जिनोम एडिटिंग की दिशा में भी कार्य कर रही हैं।

केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान की स्थापना कब हुई?

केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान की स्थापना के लिए 1946 में ही कमेटी बनाई गई थी लेकिन 1949 में केंद्रीय आलू अनुसंधान की स्थापना बिहार में हुई थी लेकिन 1956 में केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान को परमानेंटली शिमला में स्थानांतरित कर दिया गया।

केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान के कितनी शाखाएं हैं?

आज के समय में आलू की फसल उगाने वाले किसान हर कोने में हैं और किसानों के हर जरूरतों को पूरा कर रही है केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान के 7 शाखाएं जो मोदीपुरम, जालंधर, पटना, गवालियर, कुफरी, ऊटी, शिलॉन्ग मे है इन शाखाओं में खास तौर पर आलू के बीजों के विस्तार के दूसरे और तीसरे चरण का काम किया जाता है।

आलू का इतिहास

आपको यह जानकर हैरानी होगी कि आलू अपना भारतीय मूल का नहीं है आज से सैकड़ों साल पहले भारतीय रसोई का हिस्सा भी नहीं हुआ करता था आलू आलू की खोज स्पेन के लोगों ने 1547 में दक्षिण अमेरिका के एंडीज पर्वत पर बसे एक गांव में किया था यूरोप में ‌आलू 1580 में आया था।

भारत में आलू लाने का काम पुर्तगालियों ने किया था पुर्तगालियों ने आलू की सब्जी को भारत में 17 शताब्दी में लेकर आए थे, और आलू को उत्तर भारत में प्रचलित अंग्रेजों ने किया और आज के समय में देखा जाए तो विश्व भर में आलू उत्पादन के मामले में भारत दूसरे नंबर पर आता है और चीन सबसे पहले नंबर पर आता है आलू उत्पादन के मामले में।

निष्कर्ष

मुझे उम्मीद है कि CPRI का फुल फॉर्म क्या होता है और CPRI संस्थान से संबंधित पूरी जानकारी आपको मिल गई होगी लेकिन फिर भी आपके मन में केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान से संबंधित कोई सवाल या सुझाव हो तो आप हमें कमेंट बॉक्स के माध्यम से जरूर बताइए।

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