चीन की खोज किसने की थी?

एक वक्त था जब भारत चीन के मुकाबले प्रति व्यक्ति आय के मामले में आगे हुआ करता था लेकिन अफसोस आज के समय में भारत चीन के प्रति व्यक्ति आय के मामले में बहुत पीछे हैं, 1978 में जब चीन ने अपने आर्थिक स्थिति को सुधार करने के लिए कदम उठाए थे तब चीन में प्रति व्यक्ति की आय 155 अमेरिकी डॉलर थी, जबकि भारत में प्रति व्यक्ति की आय 210 अमेरिकी डॉलर थी।

लेकिन चीन को इस मुकाम तक पहुंचना इतना आसान नहीं था, 1 अक्टूबर 2019 को चीन ने अपने कम्युनिस्ट शासन के 70 साल पूरे किए, इन 70 सालों के दौरान चीन ने कई सारे उतार-चढ़ाव देखे हैं, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि आज से लगभग 40 वर्ष पहले चीन में इतनी गरीबी थी कि वहां के लोग दाने-दाने के लिए तरसते थे चीन की आर्थिक हालात बहुत ही चरमराई हुई थी, वहां की व्यवस्थाएं हिली हुई थी, ज्यादा जनसंख्या होने के कारण भी चीन के लोग बहुत बुरे हाल में रहा करते थे।

लगभग 1978 के समय में वर्ल्ड बैंक के डाटा के अनुसार चीन भारत से 26 फ़ीसदी गरीब हुआ करता था, लेकिन 1978 के बाद बहुत तेजी से बदलाव आने लगा और आज तो यह स्थिति है कि चीन के लोग भारत से 5 गुना ज्यादा अमीर है।

वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के अनुसार चीन 1978 के बाद अपने देश में एक साथ कई सारे बदलाव के प्रोग्राम शुरू किए, एक तरफ चीन अपने देश में उत्पाद और उद्योग धंधों में बदलाव किए और वहीं दूसरी तरफ भूमि सुधार, शिक्षा व्यवस्था, सड़क निर्माण और जनसंख्या नियंत्रण के लिए भी कदम उठाए, इसके अलावा और भी उन्होंने कई सारी सरकारी कड़े कदम उठाए।

चीन की खोज किसने की थी?

चीन की खोज 1555 में मार्को पोलो ने की थी।

चीन कैसे बना दुनिया का महा शक्तिशाली देश

18 दिसंबर 1978 में चीन का नया जन्म हुआ आपको बता दें कि इस दिन को चीन के इतिहास के पन्नों में हमेशा याद रखा जाएगा, इसी दिन चीन के प्रमुख नेता जियाओपेंग ने बीजिंग में कम्युनिस्ट पार्टी के मीटिंग में विकासशील प्रोग्राम और आर्थिक बदलावों को बदलने का फैसला लिया।

और इसी दिन चीन का एक नया जन्म हुआ इस दिन पूरे चीन वासियों ने एक साथ मिलकर सड़कों पर उतर आए और खूब खुशियां मनाएं, क्योंकि उनके लिए यह दूसरी क्रांति था।

जियाओपेंग खुद को हमेशा लो प्रोफाइल में रखते थे लेकिन, उनका पूरा ध्यान चीन की अर्थव्यवस्था को तेजी पर लाना था, चीन के सभी नेताओं ने केंद्रीय नियंत्रण वाले नियंत्रण पर जोर दिया, जिसके कारण स्थानीय सरकार निजी कंपनियां और निवेशकों के बीच अच्छा संबंध बन पाया।

चीन में विदेशी मुद्रा का भंडार

चीन के बाजार आज के समय में सामानों से भरे हुए नजर आते हैं और आज चीन की जीडीपी आसमान छू रही है आज देखा जाए तो चीन के बाजारों में दुनिया के सबसे सस्ती और लग्जरियस सामान बेची जाती है यही वजह है कि आज के समय में चीन के पास विदेशी मुद्रा का भंडार है।

GDP के आकार के मामले में सबसे पहले नंबर पर अमेरिका आता है उसके बाद तीन आता है जो कि विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने वाला वर्तमान समय में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश है।

विशेष आर्थिक क्षेत्र के लिए चीन ने अपने दक्षिणी तटीय प्रांतों को चुना है, चीन का विदेशी व्यापार आज के समय में काफी बढ़ चुका है 2019 के रिपोर्ट के मुताबिक विदेशी व्यापार के मामले में चीन विश्व में पहले नंबर पर आ गया है।

क्या आप यकीन करेंगे 978 में चीन ने पूरे साल में जितना व्यापार किया था अब चीन उतना ही व्यापार सिर्फ 2 दिनों में ही कर लेता है जी हां दोस्तों आपने सही सुना।

भारत और चीन की GDP

2019 के अनुसार भारत की जीडीपी 1.5 ट्रिलियन डॉलर लगभग थी और चीन की जीडीपी 60 ट्रिलियन थी, और दुख की बात तो यह है कि चीन की जीडीपी और तेजी से बढ़ती जा रही है, और भारत चीन का मुकाबला करते कहीं दूर दूर तक नजर नहीं आ रहा है।

चीन का भारतीय बाजारों पर कब्जा

भारत में चीन दिवाली होली क्रिसमस जैसे बड़े बड़े त्योहारों पर बहुत बढ़िया तरीके से फायदा उठाता है, आज के समय में दिवाली के रात हमारे घरों में बहुत कम दीए जगमगाते हैं, चारों तरफ बिजली वाली लाइटें जगमगाती हुई नजर आती है जो कि चाइनीस होती है।

यहां तक की गणेश जी की मूर्ति भी चीन अपने यहां बनाकर भारतीय बाजारों में बेचती है, और तो और होली जैसे त्योहारों के लिए भी पिचकारिया और तरह-तरह के प्लास्टिक वाला खिलौना बेचकर चीन हमारे भारत देश से मोटी कमाई करता है।

चीन भारत से अमीर कैसे बना?

इसका सबसे बड़ा कारण वहां के कामगार वर्कर माने जाते हैं, जिसे अर्थशास्त्री इसे अपनी भाषा में ह्यूमन कैपिटल कहते हैं, 1980 में जब चीन ने आर्थिक बदलाव शुरू किए थे तब वहां की साक्षरता दर तकरीबन 65 फीसदी थी और इतना ही नहीं शिक्षित होने के साथ काम में भी चीन की महिलाओं का भागीदारी 74 फ़ीसदी मानी जाती है, जबकि हमारे भारत देश में महिलाओं की भागीदारी सिर्फ 34 फ़ीसदी ही है।

निष्कर्ष

चीन में लगातार प्रदूषण बढ़ती जा रही है और इसके खिलाफ कोई भी आवाज उठा नहीं रहा है, इसका मतलब यह नहीं कि हमें चीन से कुछ नहीं सीखना चाहिए हर सिक्के के 2 पहलू होते हैं पहला सकारात्मक और दूसरा नकारात्मक

लेकिन हमें हमेशा सकारात्मक पहलुओं को अपनाना चाहिए, हमें भी चीन की तरह सोचना होगा, हम भारतीय अक्सर धर्म विवाद को लेकर आपस में झगड़ते रहते हैं और सिर्फ अपने फायदे के बारे में ही सोचते हैं।

फिलहाल आप चीन के बारे में क्या सोचते हैं कमेंट बॉक्स में जरूर बताइए और हमें ऐसा क्या करना चाहिए जिससे हमारा भारत देश थी चीन को पीछे छोड़कर आगे निकल जाए अपना राय हमें जरूर बताइए।

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