भाषा किसे कहते हैं?
भाषा वह है, जिसके द्वारा मनुष्य अपने जरूरतों या मन के भावों और विचारों का आदान-प्रदान बोलकर, सुनकर, लिखकर या पढ़कर करता है उसे भाषा कहा जाता है।
भाषा के प्रकार
भाषा के दो प्रकार होते हैं-
- मौखिक भाषा
- लिखित भाषा
मौखिक भाषा—यदि किसी आवश्यकता या जरूरत काम को मुख के द्वारा उच्चारण किया जाए, तो वह मौखिक भाषा का निर्माण करती है। निरर्थक ध्वनियां भाषा की श्रेणी में नहीं आती है। जैसे- यदि मुख से ‘कमल’ या ‘कलम’ ध्वनि का उच्चारण किया जाए, तो यह मौखिक भाषा कहलाती है।
लिखित भाषा—यदि किसी जरूरत काम को करने के लिए लिखकर व्यक्त किया जाता है, तो वह लिखित भाषा कहलाती है।
बोली किसे कहा जाता है?
घरों में बोली जाने वाली घरेलू भाषा को ‘बोली’ कहते हैं क्योंकि इसका कोई व्याकरण नहीं होता है। प्रायः इसमें साहित्य की रचना नहीं की जाती है।
जैसे—आपका क्या नाम है? (साहित्य की भाषा=भाषा)
तोर का नाम हौ ?(क्षेत्रीय भाषा=बोली)
यह स्पष्ट है कि साहित्य की भाषा में सदा एकरूपता समान रहती है, लेकिन क्षेत्रीय भाषा में इसका भाव पाया जाता है।
हिंदी क्षेत्र और बोलियां—भारत में विभिन्न प्रकार की भाषाएं बोली जाती है, जिसमें प्रमुख हैं-हिंदी, मलयालम, बांग्ला, तेलुगू (तेलगू), गुजराती, मराठी, पंजाबी, सिंधी, उर्दू, कोंकणी, नेपाली, संस्कृत, भोजपुरी, उड़ीसा, तमिल, मैथिली, कश्मीरी आदि। इन सभी भाषाओं में हिंदी बोलने वालों की संख्या सबसे अधिक है।
हिंदी शब्द की उत्पत्ति—’हिंदी’ शब्द की उत्पत्ति फारसी भाषा से हुई है। प्राचीन समय में इस शब्द का प्रयोग सिंध प्रदेश से सिंध वासियों के लिए होता था क्योंकि फारसी भाषा में ‘स’ का उच्चारण ‘ह’ के समान होता है अतः ‘सिंध’ के बदले ‘हिंद’ तथा ‘सिंधी’ के बदले ‘हिंदी’ का प्रयोग होने लगा।
हिंदी की बोलियों को पांच भागों में बांटा गया है—
1. पूर्वी हिंदी
2. पश्चिमी हिंदी
3. राजस्थानी हिंदी
4. बिहारी हिंदी और
5. पहाड़ी हिंदी।
व्याकरण की परिभाषा—मनुष्य अपनी विभिन्न आवश्यकताओं और इच्छाओं की पूर्ति के लिए एक समाज में रहता है। व्याकरण वह विद्या है जिसके द्वारा हमें किसी भाषा को शुद्ध बोलना, लिखना, एवं समझना आता है। समाज या परिवार में रहने के लिए उसे अपनी इच्छाओं या भावनाओं को व्यक्त करना होता है।
भाषा की संरचना की यह नियम सीमित होते हैं और भाषा की अभिव्यक्तियां असिमित। साथ ही, दूसरे व्यक्ति की इच्छाओं या भावनाओं को समझना पड़ता है। एक-एक नियम असंख्य अभिव्यक्तियों को नियंत्रित करता है। इन्हें समझने या समझाने के लिए किसी-न-किसी माध्यम की आवश्यकता होती है। भाषा के इन नियमों को एक साथ जिस शास्त्र के अंतर्गत अध्ययन किया जाता है उस शास्त्र को व्याकरण कहा जाता है।
अर्थात् व्याकरण उस शास्त्र को कहते हैं जिसमें किसी भाषा के शुद्ध रूप का ज्ञान करने वाले नियम बताया गया है।
उदाहरण:-
- रीता पेड़ पर चढ़ता है।
- हम सभी जाएगा।
पहले वाक्य में या अशुद्ध है कि रीता स्त्रीलिंग के साथ क्रिया का रूप ‘चढ़ती’ होना चाहिए। वाक्य बनेगा- रीता पेड़ पर चढ़ती है। वाक्य संख्या दो में कर्ता बहुवचन है, इसीलिए वाक्य बनेगा- हम सभी जाएंगे। यह असुधियां क्रिया संबंधी हैं।
व्याकरण के अंग—भाषा के चार प्रमुख भाग होते हैं- वर्ण, शब्द, पद और वाक्य।
अतः व्याकरण के मुख्य तो चार भाग होते हैं।
1. वर्ण विचार
2. शब्द विचार
3. पद विचार
4. वाक्य विचार
वर्ण विचार या अक्षर—भाषा की वह छोटी ध्वनि जो वर्ण विचार के अंतर्गत ध्वनि चिन्ह, उनके भेद तथा उच्चारण आदि पर विचार किया जाता हो। इस इकाई को वर्ण विचार करते हैं। जिसके टुकड़े नहीं किए जा सकते हैं।
जैसे — अ,ब,म,क,ल,प आदि। इनमें वर्णमाला, वर्णों के भेद, उनके उच्चारण, इस्तेमाल तथा संधि पर विचार किया जाता है।
शब्द विचार—यह हिंदी व्याकरण का दूसरा खंड है जिसके अंतर्गत शब्द की परिभाषा, विच्छेद, रूपांतरण, निर्माण, संधि, भेद-उपभेद से संबोधित नियम से विचार किया जाता है/ वर्णों के उस मेल को शब्द विचार कहा जाता है।
जैसे—पानी, भोजन, कानपुर, राकेश, कमल आदि। इनमें शब्द रचना, उनके भेद, शब्द-संपदा तथा उनके प्रयोग आदि पर विचार किया जाता है।
पद विचार —पद-भेद, पद-रूपांतरण तथा उनके सार्थक वर्ण समूह शब्द कहलाता है, जब इसका प्रयोग वाक्य में होता है तो वह अलग नहीं रहता है बल्कि व्याकरण के नियमों में बंध जाता है और इसका रूपांतरण भी बदल जाता है। जब शब्द वाक्य में प्रयुक्त होता है, तो उसे शब्द नहीं कह कर ‘पद’ कहा जाता है।
जैसे—सब घूमने जाते हैं।
राजू सिनेमा देखता है।
वाक्य विचार—जिस शब्द के समूह से बोलने या लिखने का पूर्ण अभिप्राय सुनने या पढ़ने वालों को समझ में आ जाए, उसे वाक्य-विचार कहा जाता है।
दूसरे शब्दों में—विचार को पूर्णता से प्रकट करने वाली एक क्रिया से युक्त पद-समूह को ‘वाक्य’ कहा जाता है।
सरल भाषा शब्दों में – वह शब्द समूह जिसमें पूरी बात को समझा जा सके उसे ‘वाक्य’ कहा जाता है।
जैसे—विजय खेल रहा है। अंकित जा रहा है। बालिका नाच रही है।