108 रांची,
झारखंड,
10 जुलाई 2012
प्रिय मित्र राजीव,
सप्रेम नमस्कार,
मैं यहां कुशलतापूर्वक हूं और उम्मीद करता हूं कि तुम भी भगवान की दुआ से सकुशल होगे, कल ही मुझे तुम्हारे बड़े भाई का पत्र मिला जिसे पढ़कर मुझे बहुत दुख हुआ कि तुम गलत संगति में पढ़कर अपने भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हो, तुम्हारे लिए यह समय बहुत ही मूल्य है, इसको यदि गलत तरीके से बर्बाद कर दोगे तो जीवन में कभी भी सफलता प्राप्त नहीं कर पाओगे।
तुम्हारे माता-पिता को तुमसे बहुत ही उम्मीदें होंगी, उन्हें पूरा करना तुम्हारा फर्ज बनता है, अतः आशा है कि तुम मेरी बात को अच्छी तरह से समझते हुए अपने अच्छे दोस्तों की संगति करोगे और समय का दुरुपयोग नहीं करोगे।
तुम्हारा मित्र
हेमंत सिन्हा